Chanakya Niti: इन 5 लोगों के साथ संबंध रखने वाला हो जाता है बर्बाद!
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र और राजनीति के जानकार होने के साथ साथ जीवन के मूल्यों को भी बहुत से गहराई से जानते थे। चाणक्य का मानना था कि मनुष्य को हमेशा किसी के निकट आने से पहले उसकी सही से जांच और परख लेनी चाहिए। इसके बारे में उन्होंने अपनी किताब चाणक्य नीति में विस्तार से बताया है। इस लेख में हम बताने जा रहे हैं कि आचार्य चाणक्य के अनुसार किन 5 लोगों से संबंध रखने से मनुष्य बर्बाद हो जाता है?
मूर्ख व्यक्ति
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी मनुष्य को मूर्ख लोगों को ज्ञान नहीं देना चाहिए, नहीं तो बाद में उसे स्वंय ही हानि उठानी पड़ती है। चाणक्य की मानें तो मूर्ख व्यक्ति को सज्जन पुरुष यदि भावनाओं में आकार ज्ञान दे भी देता है, तो उसे बाद में कष्ट अवश्य ही सहना पड़ता है।
चरित्रहीन स्त्री
चाणक्य के अनुसार, यदि किसी पुरुष का संपर्क किसी कुलटा या चरित्रहीन स्त्री से हो जाता है, तो उसे एक निश्चित समय के बाद जीवनभर कष्ट और दुख ही भोगना पड़ता है। चाणक्य कहते हैं, शुरुआत में ऐसे पुरुष को वह कुलटा स्त्री दुनिया की सबसे सभ्य और चरित्रवान प्रतीत होती है, परंतु जैसे ही पुरुष का बैंक बैलेंस यानि धन कम होता जाता है, वैसे ही वह कुलटा स्त्री अपने लिए नए पुरुष की तलाश करने लगती है। जब तक पुरुष को इस बात का एहसास होता है, वह लुट चुका होता है।
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संक्रमित रोग से ग्रसित मनुष्य
यहां चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति किसी संक्रमित रोग से ग्रसित है और यह जानते हुए भी कोई मनुष्य उससे संबंध रखता है या मिलता जुलता है, तो प्रबल संभावना है कि वह भी उस रोग से संक्रमित हो सकता है और समय से पहले ही मृत्यु को भी प्राप्त कर सकता है।
जो दिवालिया हो गया हो
यहां दिवालिया से आचार्य चाणक्य का तात्पर्य यह है कि ऐसा मनुष्य जो किसी गलत संगत या बुद्धि के अभाव में अपना सब धन गंवा दिया हो, ऐसे मनुष्य से भी सोच समझकर ही संबंध रखना या बनाना चाहिए। दिवालिया लोग हमेशा अवसादग्रस्त यानी डिप्रेशन में होते हैं और यदि आप ऐसे लोगों के संपर्क में रहते हैं तो निश्चित ही आप भी डिप्रेशन में आ जाएंगे।
दुष्ट स्त्री
जिस घर में दुष्ट स्त्री का वास हो जाता है, उस घर का स्वामी मृतक की भांति ही अपना जीवन जीता है। क्योंकि ऐसी स्त्री हमेशा खुद की ही सुनती है और उसे जो मन होता है, वही काम करती है । वह काम करने या बोलने से पहले यह नहीं सोचती कि इससे सामने वाले पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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