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Chhath Puja 2024: छठ पूजा का दूसरा दिन आज; जानें क्या है खरना पूजन और क्यों है महत्वपूर्ण?

Chhath Puja 2024: चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत के दूसरे दिन खरना पूजा का विधान है, जिसकी पूजा शाम में की जाती है। आइए विस्तार से जानते हैं कि खरना पूजा क्या है, यह क्यों महत्वपूर्ण है और खरना पूजन कैसे करते हैं?
07:34 AM Nov 06, 2024 IST | Shyam Nandan
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Chhath Puja 2024: चार दिवसीय महापर्व छठ का शुभारंभ मंगलवार 5 नवंबर, 2024 को नहाय-खाय की रिवाज से साथ हो चुका है। इस व्रत को करने लोग यानी व्रती दिन में स्नान-ध्यान के बाद चावल (भात), लौकी की सब्जी और चने की दाल का सेवन कर नहाय-खाय की विधि संपन्न करते हैं। आज बुधवार 6 नवंबर को छठ पूजा का दूसरा दिन है। आज शाम में खरना पूजा की जाएगी। आइए जानते हैं, खरना पूजा क्या है, यह क्यों महत्वपूर्ण है और खरना पूजन कैसे करते हैं?

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खरना पूजा क्या है?

खरना पूजा नहाय-खाय के अगले दिन की जाती है, खरना शब्द का अर्थ है शुद्धता और पवित्रता। दरअसल पूरी छठ पूजा ही शुद्धता और पवित्रता के नियम के पालन का व्रत है। खरना का एक अर्थ अखंडित होना भी होता है, जिसका तात्पर्य है कि पूरे छठ पर्व के दौरान शुद्धता और पवित्रता भंग नहीं होनी चाहिए।

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खरना पूजा का महत्व

खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है, जो छठ पूजा के सबसे महत्वपूर्ण पूजा में से एक हैं। इस दिन व्रती यानी व्रत रखने वाले लोग अपने अंतर्मन की पवित्रता पर विशेष जोर देते हैं। वे मन, वचन और कर्म से कोई कुविचार अपने मन में आने नहीं देते हैं। खरना का महत्व का इस रूप में है कि इस दिन छठी मैया का आह्वान किया जाता है। इस पूजा के साथ ही छठी मैया का आगमन होता है। इसके बाद व्रती के लिए 36 घंटे से अधिक का कठिन निर्जला छठ का उपवास शुरू हो जाता है।

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खरना पूजा कैसे करते हैं?

मान्यता है कि खरना पूजा से छठी मैया का आगमन होता है।

आज सुबह से ही व्रती यानी छठ व्रत रखने वाले लोग पूरे दिन खरना का निर्जला उपवास रखते हैं। शाम में छठ माता का आह्वान कर उन्हें सोहारी, खीर, फल और मिठाई चढ़ाया जाता है और प्रार्थना की जाती है। सोहारी एक विशेष प्रकार की रोटी या चपाती है, जो खरना के मौके पर अनिवार्य रूप में बनाई जाती है।

बता दें, खरना के एक समय ही भोजन का विधान है, जो कि खरना पूजा के बाद देर रात में ही किया जाता है। इस समय 36 घंटे के लिए निर्जला छठ व्रत का उपवास शुरू हो जाता है, जिसका समापन छठ पूजा के चौथे दिन सुबह में अर्घ्य देने के बाद पारण करने से होता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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