Choti Diwali 2024: छोटी दिवाली का श्री कृष्ण से क्या है नाता? जानिए इसके पीछे का रहस्य!
Choti Diwali 2024: इस साल छोटी दिवाली का पर्व 30 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पापी लोग भी मरने के बाद मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं। नरक चतुर्दशी की कथा भगवान श्री कृष्ण से जुडी हुई है। भागवत पुराण के अनुसार इस दिन श्री कृष्ण ने नरकासुर नाम के असुर का वध किया था। नरकासुर को भौमासुर के नाम से भी जाना जाता था।
पौराणिक कथा
पौराणिक काल में एक असुर हुआ करता था। वह भूदेवी का पुत्र था, इसलिए उसका नाम भौमासुर पड़ा। बड़ा होने पर भौमासुर ने ब्रह्माजी की कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी उसके सामने प्रकट हुए और उसे वरदान दिया कि तुम्हारा वध देवतागण नहीं कर सकते। उसके बाद भौमासुर पृथ्वीलोक पर रह रहे ऋषि-मुनियों पर अत्याचार करने लगा। उसके अत्याचार से ऋषि-मुनि त्राहि-त्राहि करने लगे। फिर एक दिन भौमासुर ने देवलोक पर आक्रमण कर दिया। उसके बाद देवताओं और भौमासुर के बीच भयानक युद्ध छिड़ गया। युद्ध के अंत में भौमासुर ने देवताओं को परास्त कर दिया। देवताओं को हराने के बाद वह देवलोक पर भी राज करने लगा।
इंद्रदेव का ब्रह्माजी के पास जाना
भौमासुर से हारने के बाद इंद्रदेव सभी देवताओं के साथ ब्रह्माजी के पास पहुंचे। ब्रह्माजी जी के पास पहुंचकर देवराज इंद्र बोले, प्रभु भौमासुर ने देवलोक पर अधिकार कर लिया है। उसके अत्याचार से ऋषि-मुनि के साथ-साथ हम सभी त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। भौमासुर आपके ही वरदान से इतना शक्तिशाली हो गया है। तब ब्रह्माजी ने कहा, देवेंद्र ये सत्य है कि भौमासुर मेरे ही वरदान से इतना शक्तिशाली हो गया है। मेरे ही वरदान के कारण आप सभी उस से हार गए हैं। मैंने ही उसे वरदान दिया था कि वह देवताओं के हाथों मारा नहीं जा सकता। लेकिन भौमासुर मानव को तुच्छ समझता है।
वह समझता है कि मानव उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते। उसने मुझसे वरदान में ये नहीं मांगा था कि मानव के हाथों उसका वध नहीं हो सकता। इसलिए अब उसका अंत मानव ही करेगा। देवराज इस समय भगवान विष्णु मानव रूप में अपनी लीला कर रहे हैं। आप द्वारका जाइए और श्री कृष्ण से प्रार्थना कीजिए। भौमासुर का अंत श्री कृष्ण ही कर सकते हैं।
देवराज का द्वारका आना
एक दिन देवराज इंद्र श्री कृष्ण के पास द्वारका आए। देवराज इंद्र ने श्री कृष्ण से प्रार्थना की, हे माधव! प्रागज्योतिषपुर के असुरराज भौमासुर ने देवलोक पर अधिकार कर लिया है। उसने देव माता अदिति के कुण्डल, वरुणदेव की छत्री और देवताओं की मणि का भी हरण कर लिया है। उसके अत्याचार से देवताओं का कहीं भी रहना मुश्किल हो गया है। इतना ही नहीं उसने धरतीलोक पर कई कन्याओं का हरण करके, उसे अपने कारागार में बंद कर रखा है। कृपया कर आप हमारी सहायता करें। देवराज की बातें सुनकर श्री कृष्ण ने कहा, देवेंद्र आप चिंता मत कीजिए, मैंने धर्म स्थापना के लिए ही अवतार लिया है। भौमासुर का अंत भी अवश्य होगा। आप इंद्रलोक जाएं।
भौमासुर का अंत
देवराज इंद्र के जाने के बाद श्री कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ गरुड़ पर बैठकर प्रागज्योतिषपुर की ओर चल पड़े। प्रागज्योतिषपुर पहुंचकर श्री कृष्ण ने भौमासुर को युद्ध के लिए ललकारा। भौमासुर ने पहले अपने सैनिकों को श्री कृष्ण से युद्ध करने के लिए भेजा। भगवान श्री कृष्ण ने पलभर में भौमासुर के सभी सैनिकों का वध कर डाला। इसका पता जब भौमासुर को चला तो वह क्रोधित हो उठा और स्वयं श्री कृष्ण से युद्ध करने आ गया। फिर श्री कृष्ण और भौमासुर में काफी देर लड़ाई हुई। श्री कृष्ण के सभी अस्त्र-शस्त्र जब विफल हो गए, तब श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से भौमासुर का वध कर डाला।
भौमासुर के अंत के बाद श्री कृष्ण ने भगदत्त को प्रागज्योतिषपुर का राजा बना दिया। भगदत्त, भौमासुर का पुत्र था। उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने कारागार में बंद 16100 कन्याओं को मुक्त कराया, जिसे भौमासुर ने बंदी बना रखा था। इन सभी कन्याओं ने श्री कृष्ण को ही अपना पति मान लिया। इसलिए कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की 16108 पत्नियां थीं।
क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली?
पुराणों में बताया गया है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही श्री कृष्ण ने नरकासुर का अंत किया था। जिसके बाद देवताओं और ऋषि-मुनियों ने दीपक जलाकर खुशियां मनाई थी। ऐसी मान्यता है कि तभी से दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाने लगी। साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन यदि किसी की मृत्यु होती है तो उसे मुक्ति मिल जाती है।
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