होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

महामारी, सुनामी, भूकंप और युद्ध से होगा महाविनाश? 31 साल बाद आषाढ़ माह में बना ‘दुर्योग काल’

Ashadha 2024: आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की दो तिथियों का क्षय होने वाला है। इस संयोग को 'दुर्योग काल' कहा जाता है। जिसका प्रभाव और परिणाम शुभ नहीं माना गया है। कहते हैं, महाभारत युद्ध होने से पहले भी ऐसी स्थिति बनी थी। आइए जानते हैं, इस दुर्योग काल का देश-दुनिया पर क्या असर होने की संभावना है?
07:28 AM Jun 25, 2024 IST | Shyam Nandan
Advertisement

Ashadha 2024: हिन्दू पंचांग के तिथियों के कुछ योग और समीकरण कुछेक सालों बाद खुद को दोहराते देखे गए हैं। साल 2024 आषाढ़ माह भी कुछ ऐसा ही संयोग बना रहा है। 23 जून से शुरू हुआ यह माह केवल 29 दिन का है। ऐसा तिथि के क्षय या लोप होने से हो रहा है। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?

Advertisement

सूर्य-चंद्र की गति का असर

प्रायः एक महीने में कृष्ण और शुक्ल दो पक्ष होते हैं। प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियां होती है और इस प्रकार 30 दिनों का एक माह होता है। लेकिन इस वर्ष सूर्य और चंद्र की गति के कारण आषाढ़ माह में एक विशेष संयोग बन रहा है। इस साल वर्तमान विक्रम संवत 2081 का आषाढ़ माह का कृष्ण पक्ष 15 दिन की बजाय केवल 13 दिन का होगा। ऐसा दो तिथियों के क्षय (लोप) होने के कारण हो रहा है।

1993 में में बना था ऐसा 'दुर्योग काल'

आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की दो तिथियों का क्षय 23 जून से 5 जुलाई के बीच होगा। पंचांग के मुताबिक, इस साल आषाढ़ कृष्ण द्वितीया (आषाढ़ का दूसरा दिन) और आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी तिथि का लोप हो रहा है। ऐसी स्थति अब से 31 साल पहले सन 1993 में बनी थी। तब आषाढ़ माह का शुक्ल पक्ष 13 दिन का था। दैवयोग से बने इस प्रकार के संयोग को 'दुर्योग काल' कहा जाता है। जिसका प्रभाव और परिणाम शुभ नहीं माना गया है।

दुनिया के लिए संकट का काल

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जब-जब पंचांग की तिथियों में इस प्रकार से तिथि का लोप होता है, वह देश-दुनिया के लिए विनाशकारी साबित होता है। कहते हैं, महाभारत से पहले भी ऐसा ही दुर्योग काल आया था। प्राकृतिक आपदाएं, जैसे महामारी, सुनामी, भूकंप आदि की बारंबारता बढ़ जाती है। राजनीतिक उथल-पुथल से दुनिया के देशों में तनाव बढ़ता है। युद्ध की विभीषिका से आमजन परेशान होते हैं। राजनेताओं की हत्याएं हो सकती हैं। कई देशों में तख्तापलट की घटनाएं होती हैं। साथ ही, अन्य अप्रत्याशित घटनाओं के होने की आशंका रहती है।

Advertisement

नहीं करने चाहिए हैं मांगलिक कार्य

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, दुर्योग काल के 13 दिनों तक शुभ काम या कोई भी मांगलिक काम नहीं करना चाहिए। इस अवधि में सगाई, मंगनी, रोका, शादी-विवाह, उपनयन, मुंडन, कर्ण-नासिका छेदन, भूमि पूजन, गृह प्रवेश और अन्य 16 हिन्दू संस्कार करने की मनाही होती है। इस बार चातुर्मास 118 दिन का होगा, जबकि पिछले साल चातुर्मास 148 दिन के थे। चातुर्मास के बाद आने वाले त्योहार पिछले साल के मुकाबले इस बार 11 से 12 दिन पहले आने योग बने हैं। ये दुर्लभ संयोग करीब 31 साल बाद देखने को मिल रहे हैं।

ये भी पढ़ें: Gupt Navratri 2024: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कब है? जानें तिथि, घट स्थापना मुहूर्त और महत्व

ये भी पढ़ें:  आषाढ़ माह शुरू, जानें पुरी रथयात्रा, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक व्रत-त्योहारों की तिथियां, देखें List

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App
Advertisement
Tags :
Ashadha Month
Advertisement
Advertisement