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Diwali 2024: पांच दिवसीय पर्व दीपावली के पांचों दिन करें ये खास उपाय, पूरे साल बनी रहेगी मां लक्ष्मी की कृपा!

Diwali 2024: दीपावली का पांच दिवसीय पर्व धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक मनाया जाता है। यह त्योहार धन, समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक है। इस पर्व में पूजा-पाठ के साथ-साथ कुछ खास उपाय भी किए जाते हैं जिनके बारे में माना जाता है कि ये पूरे साल धन और समृद्धि लाते हैं। आइए जानते हैं, क्या हैं ये खास उपाय?
07:57 PM Oct 29, 2024 IST | Shyam Nandan
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Diwali 2024: पांच दिवसीय पर्व दीपावली की शुभ शुरुआत आज मंगलवार 29 अक्टूबर, 2024 को धनतेरस के त्योहार से हो चुकी है और यह भाई दूज तक बदस्तूर चलता रहेगा। धन, सौभाग्य, समृद्धि, सुख, शांति, पारिवारिक प्रेम और सामाजिक सौहार्द्र के पांच दिवसीय महापर्व के पांचों दिन का अलग-अलग विशेष महत्व है। वहीं, पूजा-पाठ और आराधना के अलावा भक्त और साधक अपने जीवन और घर-परिवार में बरकत के लिए कुछ खास उपाय भी करते हैं। मान्यता है कि इन उपायों से पूरे साल मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, धन की कमी नही होती है और बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं। आइए जानते हैं, इन पांचों पर्व की संक्षिप्त विशेषताएं और खास उपाय।

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पांच दिवसीय दीपावली के पंच पर्व
क्र.सं.त्योहारतारीख/दिन
1धनतेरस, यम दीपक29 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार)
2नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली30 अक्टूबर, 2024 (बुधवार)
3दीपावली, लक्ष्मी-गणेश पूजन31 अक्टूबर, 2024 (बृहस्पतिवार)
4गोवर्धन पूजा, अन्नकूट पर्व01 नवंबर, 2024 (शनिवार)
5भाई दूज02 नवंबर, 2024 (रविवार)

धनतेरस

दिवाली से एक दिन पहले मनाए जाने धनतेरस त्योहार को धन त्रयोदशी भी कहते हैं। इस दिन से पांच दिवसीय त्योहारों की श्रृंखला दिवाली की विधिवत शुरुआत होती है। हिंदू धर्म में इस दिन सोना, चांदी और इससे बने आभूषण, नए बर्तन और नई वस्तुएं खरीदने की परंपरा है और धन की देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं। वस्तुतः यह दिन मां लक्ष्मी के आह्वान का दिन है।

नरक चतुर्दशी

यह दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इस दिन अभ्यंग स्नान और पूजा करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति पवित्र अकाल मृत्यु और नरक के भय से मुक्ति मिलती है। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है।

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दीपावली

दीपावली यानी दीपों का पर्व, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत और अज्ञान पर ज्ञान की रोशनी का प्रतीक है। मान्यता है कि जब भगवान राम रावण को पराजित करके अयोध्या लौटे थे, तब से यह पर्व बदस्तूर मनाया जाता आ रहा है। इसलिए यह केवल त्योहार नहीं सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष दिन है। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी जिस घर में प्रवेश कर जाती हैं, वहां कई पीढ़ियों तक धन की कमी नहीं रहती है।

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गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत को समर्पित है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों को इंद्रदेव के प्रकोप से बचाने की लीला का स्मरण किया जाता है। साथ ही इस दिन अन्नकूट पर्व भी मनाया जाता है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के अन्न से बने भोग लगाए जाते हैं।

भाई दूज

भाई दूज का त्योहार भाई और बहन के बीच के अटूट बंधन को दर्शाता है। बहन अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं। इस त्योहार का संबंध यमराज और यमुना नदी से है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन यमुना ने अपने भाई यमराज को तिलक लगाकर अमरत्व का वरदान दिया था।

पंच पर्व पर करें ये खास उपाय

1. दीपोत्सव पंच पर्व के पांचों दिन सुबह में घर की महिलाओं को घर मुख्य प्रवेश द्वार पर एक लोटा जल डालना चाहिए। जो लोग शहरों में फ्लैट में रहते हैं, उन लोगों लोग सुबह उठते ही मुख्य द्वार पर जल छिड़काव करना चाहिए। इससे घर-परिवार में सुख, संपत्ति और आरोग्य में बढ़ोतरी होती है।

2. धन तेरस के दिन सिद्ध कुबेर यंत्र की स्थापना अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान पर करने लाभ होता है और इस दिन विधिवत मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि का पूजन कर मंत्र जाप करने से संपत्ति और स्वास्थ्य की रक्षा होती है।

3. दीपावली पूजन पर श्री सूक्त का 11 बार पाठ करने मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। साथ इस दिन सिद्ध लक्ष्मी यंत्र पर चमेली का इत्र लगाने और यंत्र के सम्मुख चमेली के तेल का दीपक जलाने से माता लक्ष्मी की कृपा पूरे साल बनी रहती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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