Diwali 2024: दीपावली पर दिया जलाने के नियम, जानें किस दिशा में दीये की लौ रखने से मिलेगा क्या फल?
Diwali 2024: दीपावली का त्योहार प्रकाश और खुशियों का त्योहार है। दीपक जलाकर हम न केवल अपने घरों को रोशन करते हैं, बल्कि अपने मन और जीवन को भी प्रकाशित करते हैं। दीपावली पर दीये जलाने की परंपरा त्रेता युग में शुरू हुई थी, जब प्रभु राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे। इस शुभ अवसर पर अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर प्रभु श्रीराम का स्वागत किया था। यह कार्तिक मास की अमावस्या तिथि की रात में मनाया गया था, तब से इसे रोशनी और धन त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
दीपावली 2024 कब है?
दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इस बार यह तिथि दो दिन यानी 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को पड़ रही है। हालांकि अधिकांश विद्वान दिवाली 31 अक्टूबर को मनाने की सलाह दे रहे हैं। लेकिन कुछ 1 नवंबर को दिवाली मनाने के पक्ष में हैं। सामान्य मान्यता है कि चूंकि अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की शाम से ही शुरू हो जाती है, इसलिए दिवाली 31 अक्टूबर को ही मनानी चाहिए।
दीपावली पर दिया जलाने के नियम
दीपावली पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि दिवाली के मौके पर इन दोनों की निष्ठापूर्वक विधिवत पूजा से घर धन-धान्य से भरा रहता है। इस मौके पर दीपक जलाने की अपनी एक खास मान्यता और विधि है। आइए जानते हैं कि दीपक जलाने के नियम क्या हैं और विभिन्न दिशाओं में दीपक जलाने से क्या फल मिलता है?
- शुद्ध मन से जलाएं दीपक: मान्यता है कि दीपावली के दीपक को हमेशा शुद्ध मन से जलानी चाहिए। दीपक जलाते समय मन को शांत रखें और सकारात्मक भावनाओं से ओत-प्रोत रहें।
- घी या शुद्ध तेल का करें इस्तेमाल: दिवाली पर दीप जलाने के लिए घी और शुद्ध तेल का उपयोग करना शुभ माना गया है।
- नया दीपक जलाएं: दीपावली पर नया दीपक जलाने की परंपरा है।
- पूर्व दिशा में मुख करके दीपक जलाएं: अधिकतर लोग पूर्व दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाते हैं, क्योंकि पूर्व दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है।
- दीपक को साफ स्थान पर रखें: दीपक को साफ-सुथरे स्थान पर रखें, जहां धूल-मिट्टी या अन्य अशुद्धियां न हों।
दिवाली के दीये: दिशा बदलने से बदलेगी किस्मत
पूर्व दिशा
पूर्व दिशा को सूर्य देव की दिशा माना जाता है। इस दिशा में दीपक जलाने से स्वास्थ्य लाभ, बुद्धि में वृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पश्चिम दिशा
पश्चिम दिशा को पितरों की दिशा माना जाता है। इस दिशा में दीपक जलाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और घर में शांति बनी रहती है।
उत्तर दिशा
उत्तर दिशा को कुबेर देव की दिशा माना जाता है। इस दिशा में दीपक जलाने से धन लाभ होता है और घर में समृद्धि आती है।
दक्षिण दिशा
दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है। इस दिशा में दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सुरक्षा बनी रहती है।
वास्तु शास्त्र के कोण और दिवाली के दीये
- ईशान कोण: ईशान कोण को भगवान शिव की दिशा माना जाता है। इस कोण में दीपक जलाने से मन शांत होता है, आध्यात्मिक उन्नति होती है और समृद्धि बढ़ती है।
- नैऋत्य कोण: नैऋत्य कोण को यमराज की दिशा का एक भाग माना जाता है। इस कोण में दीपक जलाने से मृत्यु का भय समाप्त होता है, वास्तु दोष दूर होते हैं और दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
- वायव्य कोण: वायव्य कोण को वायु देव की दिशा माना जाता है। इस कोण में दीपक जलाने से रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य लाभ होता है।
- आग्नेय कोण: आग्नेय कोण को अग्नि देव की दिशा माना जाता है। इस कोण में दीपक जलाने से घर के सदस्यों में नई और सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।
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