Diwali 2024 Date: दिवाली कब है? जानें सही तिथि, लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त और धार्मिक महत्व
Diwali Kab Hai: दिवाली भारत के सबसे महत्वपूर्ण और बड़े त्योहारों में से एक है। बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश की जीत और ज्ञान पर अज्ञान की जीत के इस उत्सव का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। यह भारत की सनातन संस्कृति का एक ऐसा त्यौहार है, जो एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का भाव रखने के लिए प्रेरित करता है। इस अवसर पर लोग अपना धर्म और संप्रदाय को भूलकर एक-दूसरे को बधाई संदेश देते हैं। आइए जानते हैं, इस साल रोशनी का महा-उत्सव दिवाली कब है, लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व क्या है?
दिवाली कब है?
इस साल सभी त्योहारों को लेकर, चाहे वह रामनवमी, हनुमान जयंती, अक्षय तृतीया या गंगा दशहरा हो, लोगों में यह कन्फ्यूजन रहा है कि कोई त्योहार असल में किस तारीख को मनाएं? ज्योतिषियों और पंडितों के अनुसार, इसकी वजह सूर्योदय और हिन्दू पंचांग की तिथि के बीच का सह-संबंध। आइए जानते है, दिवाली कब है...31 अक्टूबर या 1 नवंबर?
दिवाली का त्योहार एक पौराणिक और सनातन हिन्दू त्योहार है, जो पंचांग के मुताबिक हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। 2024 की यह तिथि गुरुवार 31 अक्टूबर को दोपहर के बाद अपराह्न में 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, यह तिथि शुक्रवार 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। चूंकि सूर्योदय के साथ अमावस्या तिथि 1 नवंबर को पड़ रही है, इसलिए उदयातिथि के आधार पर साल 2024 की दिवाली 1नवंबर को मनाई जाएगी।
दिवाली 2024: लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
हिन्दू परंपरा में दिवाली धन और समृद्धि का त्योहार है. धार्मिक ग्रंथों और प्रचलित रिवाज के मुताबिक, इस पावन त्योहार के अवसर पर धन की देवी लक्ष्मी और उनके साथ ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा की जाती है. पंचांग के मुताबिक, सामान्य गृहस्थों के लिए इस दिन लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त शाम में 5 बजकर 36 मिनट से लेकर 6 बजकर 16 मिनट तक शुभ है।
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त: शाम 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 11 मिनट तक
वृषभ काल पूजा मुहूर्त: शाम 06 बजकर 20 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 15 मिनट तक
दिवाली का धार्मिक महत्व
हिन्दू धर्म में दिवाली को धन, सौभाग्य और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी का जन्मदिन माना जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, अमृत मंथन के दौरान क्षीर सागर से उत्पन्न होने के बाद कार्तिक अमावस्या के दिन देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में वरण किया था। इसलिए इस दिन दिवाली मनाई जाती है और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का त्योहार माना गया है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी जी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
दिवाली को भगवान राम के अयोध्या वापसी और रावण पर विजय का प्रतीक माना जाता है। जब भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्या नगरी को दीपों से सजाकर उनका स्वागत किया गया था। जैन धर्म में दिवाली को जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बता दें, साल 2025 में खुशियों और प्रकाश का त्योहार दीपावली सोमवार 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा, वहीं साल 2026 में धन और समृद्धि का यह शानदार दीपोत्सव पर्व रविवार 8 नवम्बर को पड़ने वाला है।
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