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क्या रेपिस्ट मृत्यु के बाद दोबारा जन्म लेता है? जानें शिव पुराण और गरुण पुराण में क्या कहा गया

कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई घटना पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है । हर कोई दोषी को फांसी कि सजा देने की मांग कर रहे हैं । लेकिन क्या फांसी या उम्र कैद के बाद दोषी सारे कर्मों से मुक्त हो जाता है या फिर मृत्यु के बाद भी उसे सजायें मिलती है ! चलिए विस्तार से जानते हैं ।
07:00 AM Sep 06, 2024 IST | News24 हिंदी
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पौराणिक समय से ही रेप या बलात्कार को समाज का सबसे जघन्य अपराध माना जाता रहा है। आज कलयुग में भी बलात्कार की घटना को सबसे घिनौना माना जाता है फिर भी हर दिन बलात्कार से जुड़ी कई घटनाएं घटती है। रेप की घटना के बाद लोग पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन करते हैं और आरोपी या दोषी को तत्काल फांसी की सजा देने की मांग करते हैं। कई घटनाओं में तो दोषियों को फांसी भी हो जाती है। अब  ये सवाल उठता है कि क्या इतने बड़े जघन्य अपराध का दोषी फांसी या उम्रकैद के बाद अपने सारे पापों से मुक्त हो जाता है या फिर उसे मृत्यु के बाद भी इस घिनौने कर्म की सजा मिलती है ? तो आइए जानते हैं हिन्दू धर्मग्रंथ इसके बारे में क्या कहता है?

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शिव पुराण की बातें

शिवपुराण के अनुसार जो भी मनुष्य बलात्कार या व्यभिचार जैसा घिनौना कृत करता है उसे जीते जी तो कष्ट भोगना ही पड़ता है और मरने के बाद भी उसे नरक में ऐसी ऐसी यातनाएं सहनी पड़ती है जिसे भोगने के बाद पापी आत्मा रुदन करता है और अपने कर्मों पर पश्चाताप करता है।

गरुड़ पुराण की बातें

अठारह पुराणों में से एक गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद मिलने वाली सजाओं के बारे में बताया गया है। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु से गरुड़ कहते हैं कि हे पक्षीराज मृत्यु लोक पर सबसे बड़ा कुकर्म व्यभिचार,बलात्कार और नारी या स्त्रियों के शोषण को माना जाता है। इन सब कुकर्मों में बलात्कार को सबसे जघन्य माना गया है। जो पुरुष स्त्रियों के साथ जबरदस्ती करता है वह क्षमा के लायक नहीं है। ऐसा प्राणी धरतिलोक पर तो अपने अपने राज्यों के नियमों के हिसाब से सजा तो काट लेता है लेकिन इस लोक मे यमदूत उसे कभी भी माफ नहीं करते।ऐसे मनुष्यों कि आत्मा जब मृत्यु के बाद यमलोक आती है तो उसे बिना किसी देरी के नरक भेज दिया जाता है। फिर उसे लोहे से बने स्त्री को गरम करके उसका आलिंगन कराया जाता है। वह उस गरम प्रतिमा से तब तक बंधा रहता है जब तक वह दुबारा ठंडा नहीं हो जाता। ऐसी आत्मा के साथ ये प्रक्रिया सकारों वर्षों तक अनवरत चलती रहती है। फिर उसके बाद उसे कई योनियों में जन्म लेना पड़ता है। इस तरह लाखों साल बाद वह दुबारा मनुष्य कि योनि में जन्म लेता है।

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महाभारत की बातें

जैसा की हम जानते हैं कि स्त्री के ऊपर हुआ अत्याचार ही महाभारत का मुख्य कारण था। महाभारत मे श्री कृष्ण ने कहा है कि जब भी किसी स्त्री के चरित्र को कलंकित किया जाएगा तब तब एक महाभारत अवश्य होगा। इतना ही नहीं श्री कृष्ण कहते हैं कि स्त्रियों के चरित्र को कलंकित करनेवाला स्वंय के साथ साथ पूरे समाज को बदनाम करता है। वह स्वंय के साथ साथ अपने परिवार को भी इस कुकर्म का दोषी बना देता है। ऐसा कुकर्म करनेवाले मनुष्य की कई पीढ़ियाँ इसकी सजा भोगती है और मरने के बाद वह नरक में लाखों वर्षों तक यातनाएं सहता रहता है।

 

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