होमखेलवीडियोधर्म मनोरंजन..गैजेट्सदेश
प्रदेश | हिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारदिल्लीपंजाबझारखंडछत्तीसगढ़गुजरातउत्तर प्रदेश / उत्तराखंड
ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थExplainerFact CheckOpinionनॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Dussehra 2024: क्यों शुभ है दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी दर्शन? ये 5 कारण जानकर रह जाएंगे हैरान!

Dussehra 2024: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना शुभ होता है और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। आइए जानते हैं, नीलकंठ पक्षी का दर्शन से जुड़े 5 कारण, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि यह रिवाज बेबुनियाद नहीं है।
06:25 PM Oct 10, 2024 IST | Shyam Nandan
Advertisement

Dussehra 2024: सनातन धर्म में नीलकंठ पक्षी को शुभ संकेत के रूप में देखा जाता है और इसे धर्म का वाहक माना गया है। सांस्कृतिक रूप से इस पक्षी को समृद्धि, शांति, सौम्यता और समरसता का संदेशवाहक भी माना जाता है। धार्मिक रूप से दुर्गा पूजा में विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना काफी फलदायी बताया गया है और बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रेरणा का प्रतीक माना गया है।

Advertisement

वहीं, भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां नीलकंठ पक्षी एक विशिष्ट स्थान रखता है। आइए जानते हैं, नीलकंठ पक्षी से जुड़ी कुछ धार्मिक, पौराणिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और लोक मान्यताएं। इन कारणों को जानकर आप कह उठेंगे कि विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी दर्शन की परंपरा बेबुनियाद नहीं है।

मिलते हैं मनोकामना पूरे होने से संकेत

पार्वती रूपी मां दुर्गा भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, वहीं नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है। दशहरे के दिन दुर्गा पूजन के बाद नीलकंठ पक्षी के दर्शन को मनोकामना पूरी होने से संकेत के रूप में देखा जाता है। इसलिए इसका धार्मिक बहुत ज्यादा है। मान्यता है कि इस दिन आप जिस भी कठिन-से-कठिन काम से निकलते हैं, यदि रास्ते में नीलकंठ दिख जाता है, तो मां दुर्गा और भगवान शिव की कृपा से उस काम का पूरा होना तय माना जाता है।

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक

पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम महादेव भगवान शिव के उपासक थे। रावण का वध करने से पहले भगवान राम ने नीलकंठ पक्षी का दर्शन किया था। महादेव शिव का भी एक नाम नीलकंठ है। बता दें कि सागर मंथन के बाद निकले हलाहल विष को भगवान शिव अपने कंठ में धारण किया था, जिसके कारण उनका कंठ नीला हो गया था। हिन्दू परंपरा में दुर्गा पूजा के विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना अत्यंत शुभ संकेत माना जाता है। इसका दर्शन महिषासुर, चंड-मुंड, शुंभ-निशुंभ आदि और भगवान राम की रावण पर विजय के रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

Advertisement

ये भी पढ़ें: Navratri 2024: दुर्गा पूजा में इन 5 पक्षियों का दिखना है बेहद शुभ, देवी मां देती हैं सौभाग्य, समृद्धि और सेहत का वरदान!

जानिए पौराणिक महत्व

विष्णु पुराण में नीलकंठ पक्षी को भगवान विष्णु का वाहन बताया गया है। वहीं, शिव पुराण में नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का गण माना गया है। जबकि, गर्ग संहिता और गरुड़ पुराण में नीलकंठ पक्षी को शुभ और मंगलकारी कहकर वंदना की गई है। कुछ और धार्मिक ग्रंथों में नीलकंठ पक्षी को मां दुर्गा की सहचरी माना है। मान्यता है कि दुर्गा पूजा संपन्न होने के बाद जब मां दुर्गा वापस कैलाश धाम जाती है, तो नीलकंठ उनका मार्गदर्शन करता है।

नीलकंठ पक्षी दर्शन का लौकिक महत्व

भारत की लोक मान्यताओं में नीलकंठ पक्षी को विजय यानी जीत का प्रतीक माना गया है। जीवन में सब शुभ ही शुभ हो, निराशा पर आशा की जीत हो, इसलिए दशहरे के मौके पर इसका दर्शन करने का रिवाज है, इसे देखना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। लेकिन यह इतना भी सुलभ पक्षी नहीं है। दशहरे के दिन लोग इस पक्षी की झलक पाने के लिए काफी दूर तक निकल जाते हैं। नीलकंठ पक्षी से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि इस पक्षी को देखने से घर में सुख-शान्ति और समृद्धि आती है। बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि जिसके घर में नीलकंठ पक्षी आता है, उस घर में देवी लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती हैं, कभी धन की कमी नहीं होती है।

वीडियो: नीलकंठ दर्शन, जानें धार्मिक, वैज्ञानिक और लोक मान्यताएं

पर्यावरण संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है नीलकंठ पक्षी

भारत एक कृषि प्रधान देश है। जिन कीटों से फसलों को नुकसान होता है, नीलकंठ पक्षी उन कीटों को खाता है। इस प्रकार, यह पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण पक्षी है। इसलिए भारतीय किसान इस पक्षी अपना मित्र और शुभचिंतक मानते हैं। यह पक्षी उन विषैले छोटे सांपों का भक्षण करता है, जो आंखों से दिखते नहीं हैं, लेकिन उन पांव पड़ने के बाद उनके विषैलेपन से किसानों की मृत्यु हो जाती है। इसके साथ ही, नीलकंठ पक्षी पर्यावरण संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मान्यता है कि नीलकंठ पक्षी को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।

दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा

कुछ लोक मान्यताओं के अनुसार, नीलकंठ पक्षी को देखने से बुरी नजर से रक्षा होती है और यह पूरे साल तक एक ढाल के रूप में काम करता है। इसके साथ ही नकारात्मकऊर्जा दूर होती है। नकारात्मक विचार पर सकारात्मक सोच हावी होती है। यही कारण है कि नीलकंठ पक्षी को धार्मिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और लोक मान्यताओं के आधार पर शुभ माना गया है।

ये भी पढ़ें: Navratri 2024: नवरात्रि में मां दुर्गा को न चढ़ाएं ये 7 फूल, देवी हो जाएंगी नाराज, ये है उनका सबसे प्रिय फूल!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App
Advertisement
Tags :
Durga PujaNeelkanth BirdParva Tyohar
Advertisement
Advertisement