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सावन पर जरूर करें 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन, तीर्थ यात्रा का फल चाहिए तो निभानी होगी शर्त

Dwadash Jyotirling Yatra: धार्मिक ग्रंथों में द्वादश ज्योतिर्लिंग शिव मंदिरों की यात्रा का क्रम निर्धारित किया गया है। सावन के पवित्र महीने में इनके दर्शन से विशेष लाभ होता है। मान्यता है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन सही क्रम में नहीं करने पर तीर्थ यात्रा का पूरा फल नहीं मिल पाता है। आइए जानते हैं, ज्योतिर्लिंग दर्शन का सही क्रम क्या है?
01:19 PM Jul 18, 2024 IST | Shyam Nandan
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Dwadash Jyotirling Yatra: भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिर हैं, जिन्हें 'द्वादश ज्योतिर्लिंग' कहते हैं। बहुत से शिवभक्त और श्रद्धालु सावन के पवित्र माह में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में अनुसार, इन सभी ज्योतिर्लिंग की यात्रा और दर्शन एक क्रम में करने से ही दर्शन और पूजा का उचित फल मिलता है। आइए जानते हैं, महादेव शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग का दर्शन किस क्रम में करना चाहिए यानी कहां से शुरू कर कहां पर समाप्त करनी चाहिए?

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द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र में है समाधान

पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में द्वादश ज्योतिर्लिंग से संबधित एक प्रसिद्ध मंत्र दिया गया है। इस मंत्र में ज्योतिर्लिंग मंदिरों के क्रम और स्थित (Order and Location) बताई गई है। मान्यता है कि जिस क्रम में इस मंत्र में द्वादश ज्योतिर्लिंग का जिक्र हुआ है, उसका पालन करते हुए ज्योतिर्लिंग दर्शन से पूर्ण लाभ होता है और सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी हो जाती है। द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र के अनुसार, यात्रा का क्रम इस प्रकार है।

ये है द्वादश ज्योतिर्लिंग दर्शन का सही क्रम

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: इसे पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना गया है, जो गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने कुष्ठ रोग से मुक्ति पाने के लिए की थी। ज्योतिर्लिंग दर्शन तीर्थ यात्रा की शुरुआत इससे ही करनी चाहिए।

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित इस मंदिर को भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान माना गया है। कहते हैं, यहां शिव-पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं और इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

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3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन में स्थित यह ज्योतिर्लिंग एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जो अपनी सुबह की भस्म आरती के लिए प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा और दर्शन से आयु में वृद्धि होती है और अकाल मृत्यु से बचाव होता है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में पवित्र नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। मान्यता है कि महादेव की कृपा से ॐ शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से यहीं हुई थी। कहते हैं, पूरा दिन भ्रमण करने के बाद भगवान शिव इस मंदिर में रात्रि विश्राम करते हैं और मां पार्वती के साथ चौसर भी खेलते हैं।

5. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग: झारखंड स्थित इस ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि रावण की एक भूल से यहां शिवजी ने वास किया। इसके पास ही हृदय शक्ति पीठ है, जहां माता सती का हृदय गिरा था।

6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। इनका एक नाम मोटेश्वर महादेव भी है। मान्यता है कि जो भक्त सुबह में सूर्योदय के बाद इस मंदिर में ज्योतिर्लिंग का श्रद्धापूर्वक दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं और स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।

7. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग: तमिलनाडु में समुद्र के किनारे रामनाथपुरम नामक स्थान पर स्थिति यह ज्योतिर्लिंग हिंदुओं के चार धामों में से भी एक है। मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। इसलिए यह रामेश्वरम कहलाता है।

8. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका द्वारका पुरी से मात्र 17 मील दूर है, जहां भगवान शिव नागेश्वर यानी सभी नागों और सर्पों के स्वामी के रूप में पूजे जाते हैं। कहते हैं, नागेश्वर शिव के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

9. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: उत्तर प्रदेश की काशी यानी वाराणसी में स्थित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है, जो उनकी त्रिशूल पर टिका है। शास्त्रों में इस ज्योतिर्लिंग का अत्यधिक महत्व बताया गया है।

10. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में पवित्र गोदावरी नदी के करीब स्थित ज्योतिर्लिंग धाम के बारे में कहा जाता है कि यहां गवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा। यहां पास में स्थित ब्रह्मगिरि पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है।

11. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग: उत्तराखंड में बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण के अनुसार, यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इसका महत्व कैलाश तीर्थ के समान है।

12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग: महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित इस ज्योतिर्लिंग मंदिर को घुश्मेश्वर महादेव मंदिर भी कहते है। ज्योतिर्लिंग मंदिर के क्रम में यह 12वां शिवधाम है, जिससे ज्योतिर्लिंग यात्रा का समापन करना चाहिए।

मान्यता है कि जो व्यक्ति इन सभी ज्योतिर्लिंग धाम की यात्रा नहीं कर सकते हैं, यदि वे प्रतिदिन द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र का जाप करते हैं, उनको इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन लाभ के साथ-साथ सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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