होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियास्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Eid al-Adha 2024: बकरीद का पूरा नाम क्या है? क्यों दी जाती है इस दिन कुर्बानी, जानें महत्व

Eid al-Adha 2024: आज भारत में मुस्लिम समुदायों के द्वारा बकरीद त्योहार मनाया जा रहा है। यह फेस्टिवल इस्लामी कैलेंडर हिजरी के आखिरी महीने ज़ुल-हिज्जा के 10वें दिन मनाया जाता है। आइए जानते हैं, बकरीद का महत्व और कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां।
07:53 AM Jun 17, 2024 IST | Shyam Nandan
Advertisement

Eid al-Adha 2024: आज पूरे भारत में मुस्लिम समुदायों के बीच बकरीद का त्योहार काफी जोशो-खरोश से मनाया जा रहा है। आज सुबह की नमाज ईद की नमाज के बाद कुर्बानियों का सिलसिला शुरू हो गया है। क्या आप जानते हैं, बकरीद का पूरा नाम क्या है, इसे कुर्बानी का दिन क्यों कहते हैं और इस त्योहार का महत्व क्या है? आइए जानते हैं, बकरीद से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण और उपयोगी जानकारियां।

Advertisement

बकरीद का पूरा नाम

बकरीद को अरबी में 'ईद अल-अधा' या 'ईद अल-अदहा' (Eid al-Adha) कहते हैं। वहीं फारसी और उर्दू में यह 'ईद उल-अजहा' कहा गया है, जिसका अर्थ है 'कुर्बानी का दिन', इसे 'बकर ईद' भी कहते हैं। जबकि भारत में ईद उल-अजहा 'बकरीद' के त्योहार नाम से अधिक लोकप्रिय है। कुर्बानी का यह त्योहार यानी ईद उल-अजहा इस्लामी कैलेंडर हिजरी के आखिरी महीने ज़ुल-हिज्जा के 10वें दिन मनाया जाता है।

क्यों मनाते हैं बकरीद

कुरान के अनुसार, हजरत इब्राहिम ने एक रात सपना देखा कि वे अपने बेटे हजरत इस्माइल की बलि दे रहे हैं। उन्होंने इस सपने को अल्लाह का हुक्म माना और अपने बेटे इस्माइल के बलि देने के लिए तैयार हो गए। वहीं हजरत इस्माइल भी खुदा की राह में अपनी बलि खुशी-खुशी देने को तैयार थे। जब हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी करने जा रहे थे कि तभी अल्लाह के फरिश्तों ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया और उसकी जगह एक पशु (दुम्बा) की बलि दिलवाई। इस पाक घटना की याद में बकरीद त्योहार मनाया जाता है और जानवरों की बलि दी जाती है।

भाईचारा और दयानतदारी का त्योहार है बकरीद

मान्यता है कि कुर्बानी के दिन किसी को भी भूखे पेट नहीं रहने देना चाहिए। इसलिए बकरीद की नमाज के बाद दुम्बा यानी बकरे की कुर्बानी की जाती है। कुर्बानी को फिर जगह तीन हिस्सों में तकसीम (बांटना) किया जाता है। एक हिस्सा अपने लिए रखकर बाकी हिस्से में से दूसरे हिस्से को गरीबों और जरूरतमंदों को दिया जाता है, तीसरे हिस्से को रिश्तेदारों और करीबी लोगों और दोस्तों को दिया जाता है। इससे जाहिर होता है कि बकरीद भाईचारा और दयानतदारी का त्योहार है।

Advertisement

बकरीद का महत्व

ज़ुल-हिज्जा का महीना और बकरीद का समय मुसलमानों के लिए साल का एक सबसे खास समय और बहुत पाक (पवित्र) होता है, क्योंकि यह हज यात्रा का भी प्रतीक है। बता दें, हर साल लाखों मुसलमान हज के लिए मक्का जाते हैं। हज यात्रा विश्व के सभी मुसलमानों के लिए सबसे बड़ी तीर्थयात्रा है और मक्का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है।

ये भी पढ़ें: बॉडी की इम्यूनिटी बढ़ाने के 7 वास्तु टिप्स, पांचवां उपाय हाई बीपी के लिए है लाभकारी

ये भी पढ़ें: सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं पुण्य फल भी देते हैं पेड़, जानें किस पेड़ को लगाने से क्या मिलेगा फल

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App
Advertisement
Tags :
Bakrid 2024Eid 2024Eid Al Adha
Advertisement
Advertisement