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Ganesh Chaturthi 2024: पूजा में क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा घास, आज जान लें उसकी हैरान करने वाली कहानी; गणेश जी को भी है प्रिय

Ganesh Chaturthi 2024: हिंदू धर्म में दूर्वा घास को अत्यंत पवित्र माने जाने के पीछे एक बेहद रोचक कहानी है, जिसे हर हिन्दू को जरूर जानना चाहिए। आइए गणेश चतुर्थी उत्सव के मौके पर जानते हैं कि विष्णु पूजा और गणेश पूजा में दूर्वा या दूब घास का उपयोग क्यों किया जाता है?
10:38 PM Sep 11, 2024 IST | Shyam Nandan
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Ganesh Chaturthi 2024: क्या आपने कभी सोचा है कि हिन्दू धर्म में दूर्वा घास इतनी पवित्र क्यों है? धार्मिक रूप से प्रायः हर पूजा में इसका उपयोग क्यों किया जाता है, विशेष कर विष्णु पूजा और गणेश पूजा में दूर्वा या दूब घास का इस्तेमाल अनिवार्य क्यों है? यह बहुत काम लोग जानते हैं कि भादो महीने की अष्टमी तिथि केवल राधाष्टमी ही नहीं बल्कि हिन्दू धर्म में दूर्वा घास के महत्व को देखते हुए 'दूर्वा अष्टमी पूजा' के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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हिंदू धर्म में कई धार्मिक अनुष्ठानों में दूर्वा घास का उपयोग किया जाता है, जैसे कि पूजा, हवन, यज्ञ आदि। वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि मामूली समझी जाने वाली दूर्वा घास आयुर्वेद में औषधीय गुणों का खजाना मानी गई है। आइए जानते हैं कि दूर्वा घास की उत्पत्ति की कहानी क्या है, प्रायः हर पूजा में दूर्वा घास क्यों चढ़ाते हैं और गणेश जी क्यों पसंद है दूर्वा घास?

ऐसे हुई दूर्वा घास की उत्पत्ति

पुराणों के अनुसार, अमृत पाने के लिए जब  देवताओं और दानवों ने सागर मंथन किया था, तब  मंदराचल पर्वत समुद्र में धंसने लगा। उस समय  भगवान विष्णु कूर्म (कच्छप) अवतार धारण कर मंदराचल पर्वत की नीचे का आधार तल बन गए थे। जब देवताओं और दानवों की शक्ति से वासुकि नाग रूपी रस्सी से मंदराचल पर्वत मथानी की तरह तीव्र गति से घूमने लगा, तब उसकी उसकी रगड़ से भगवान विष्णु की जंघा से कुछ रोम निकलकर समुद्र में गिर गए।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु की जंघा से निकले रोम पर अमृत ने अपना प्रभाव दिखाया। समय के साथ अमृत के असर भगवान विष्णु के रोम पृथ्वी लोक पर दूर्वा घास के रूप में उत्पन्न हुए। इसलिए दूर्वा घास को हिन्दू धर्म में इतना पवित्र माना जाता है और भादो मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्वाष्टमी पर दूर्वा घास का पूजन किया जाता है।

इसलिए पूजा में चढ़ाते हैं दूर्वा घास

दूर्वा घास भगवान विष्णु के रोम से उत्पन्न होने कारण हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण यह है कि दूर्वा घास को अमर माना गया है। यह देखा गया है कि यह कहीं भी बिना किसी बीज के कहीं भी उग आता है। मान्यता है कि इसमें अमृत के अंश है। यही कारण है कि इसे देवताओं को अर्पित किया जाता है। दूर्वा घास का उपयोग आयुर्वेद में तनाव कम करने के लिए किया जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसलिए हर हिंदू पूजा में दूर्वा घास चढ़ाई जाती है।

गणेश जी को इसलिए प्रिय है दूर्वा घास

पौराणिक कथा के अनुसार, गणेशजी ने देवताओं का रक्षा के लिए अनलासुर नामक राक्षस को साबुत निगल लिया था। इसके बाद उनके पेट में तेज जलन होने लगी थी। कहते हैं कि तब ऋषि कश्यप ने इस जलन को शांत करने के लिए गणपति जी को औषधि के तौर पर दूर्वा खिलाया था। माना जाता है कि दूर्वा खाने के बाद से भगवान गणेश जी के पेट की जलन खत्म हो गई थी। बाद में गणेश को प्रसन्न करने के लिए दूर्वा घास चढ़ाने का नियम बन गया।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Durva NiyamGanesh Chaturthi 2024Puja Path niyam
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