Geeta Updesh: हर काम में सफल होते हैं ऐसे व्यक्ति, भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कही ये बात!
Geeta Updesh: श्रीमदभगवद्गीता केवल धर्म और फिलॉसफी का ग्रंथ नहीं है। इसमें केवल परलोक की बातें नहीं हैं। यह महान ग्रंथ इस जीवन और इस संसार की बात सबसे अधिक करता है। अर्जुन को इस संसार में ही सांसारिक संबंधों और वस्तुओं के प्रति संशय हुआ था। पूरी गीता में अर्जुन ने सवालों की झड़ी लगा दी है और स्वयं भगवान कृष्ण ने भी खुद प्रश्न किया है और सभी का समुचित उत्तर दिया है।
भगवद्गीता के कई श्लोकों में भगवान कृष्ण ने कई तरीके से सफलता और असफलता की बात की है। भगवान कृष्ण की वाणी अमृतवाणी है, जिसमें दिव्य ज्ञान कूट-कूट कर भरा है। आइए जानते हैं कि किस प्रकार के व्यक्ति हर काम में सफल होते हैं, जिसके बारे में भगवान कृष्ण ने अर्जुन से ये बातें बताई हैं?
खुद को जानें और संवारें!
आपने अक्सर यह सुना होगा, ‘कोई और नहीं, आप ही अपने सबसे अच्छे दोस्त और सबसे बड़े दुश्मन होते हैं।‘ भगवद्गीता भी इसी बात को और गहराई से समझाती है। भगवान कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को खुद से बेहतर कोई नहीं जान सकता है। हमारी सबसे बड़ी ताकत क्या है और हमारी कमजोरी क्या है, यह सबसे अधिक हमें ही पता होती है। इसलिए, अपने भीतर झांकना और खुद का आकलन करना सफलता का पहला कदम है।
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अपनी ताकत और कमजोरी को पहचानें
गीता में श्रीकृष्ण ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जो व्यक्ति अपनी शक्ति, अपने गुणों और कमजोरियों को पहचान लेता है, वह अपनी वास्तविक क्षमता को समझकर उसे सही दिशा में लगा सकता है। यह आत्म-विश्लेषण जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का मूल मंत्र है। अपनी कमियों को स्वीकार करना कमजोरी नहीं, बल्कि हिम्मत की निशानी है। यह खुद को सुधारने का सबसे बढ़िया तरीका है।
मन एक बहती नदी है!
क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी अधिकतर चिंताएं और दुख कहां से आते हैं? श्रीकृष्ण ने गीता में इसका उत्तर बड़े सरल शब्दों में दिया है: ‘आपका मन ही आपके दुखों का कारण है।‘ जब हमारा मन बेकाबू होता है, तो यह बेवजह की चिंताओं और असंतोष से हमें घेर लेता है। लेकिन अच्छी बात यह है कि मन पर नियंत्रण पाया जा सकता है। मन को साधने से मनुष्य अपने जीवन के लक्ष्य को भी आसानी से हासिल कर लेता है। मन एक बहती नदी की तरह है। अगर इसे सही दिशा नहीं दी गई, तो यह इधर-उधर बहकर आपकी ऊर्जा बर्बाद कर देगा। भगवान कृष्ण कहते हैं, ‘मन को केंद्रित करो।
क्रोध कब और क्यों आता है?
श्रीकृष्ण ने गीता में बताया है कि "क्रोध व्यक्ति की सबसे बड़ी कमजोरी है, जो उसके सोचने-समझने की क्षमता को खत्म कर देता है।" क्रोध न केवल दूसरों के लिए हानिकारक है, बल्कि यह आपका भी अहित करता है। इसलिए, इसे काबू में रखना जरूरी है। जब गुस्सा आता है, तो शांत रहने की कला सीखना ही सच्ची समझदारी है। क्रोध पर काबू पाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि परिस्थिति को समझें। वे कहते हैं कि क्रोध तब आता है, जब चीजें हमारी उम्मीदों के अनुसार नहीं होतीं। लेकिन अगर हम स्थिति को समझकर प्रतिक्रिया दें, तो क्रोध अपने आप कम हो जाता है।
निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि जिसने खुद को जान लिया है, जिसे अपनी अपनी ताकत और कमजोरी अच्छे से पता है, जिसने मन को साधन सीख लिया है और जो जानता है कि क्रोध को कैसे कंट्रोल में रखना है, ऐसे व्यक्ति हर काम में सफल होते हैं।
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