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शादी में विलंब, संतान कष्ट हैं कुंडली में गुरु दोष के लक्षण, इन उपायों से होगी भाग्य में वृद्धि

Guru Dosh Upay: सभी ग्रहों में सबसे शुभ ग्रह बृहस्पति यानी गुरु का कुंडली में दोषरहित होना जरूरी है, अन्यथा व्यक्ति शादी में समस्या, धन का संकट, शिक्षा पर असर, संतान को कष्ट जैसी समस्याओं से परेशान रहता है। आइए जानते हैं, गुरु दोष को दूर करने के विश्वसनीय ज्योतिष उपाय क्या हैं?
01:22 PM Jul 04, 2024 IST | Shyam Nandan
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Guru Dosh Upay: वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति सभी ग्रहों में सबसे शुभ ग्रह हैं। देवताओं के गुरु होने के कारण वे देवगुरु कहलाते हैं और ग्रहों में सबसे विशाल होने के कारण वे गुरु ग्रह के रूप में प्रसिद्ध हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कुंडली में गुरु ग्रह बृहस्पति का शुभ होना एक अनिवार्य शर्त है या उन पर कम से कम अशुभ प्रभाव होने चाहिए, तभी वे शुभ फल दे पाते हैं। जिनकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत होते हैं, वे जातक (व्यक्ति) ज्ञानी, बुद्धिमान, चिंतनशील और आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाले होते हैं। आइए जानते हैं, गुरु ग्रह बृहस्पति का जीवन में क्या महत्व है, कुंडली में उनके अशुभ होने से जीवन पर क्या असर पड़ता और किन ज्योतिष उपायों गुरु दोष को दूर किया जा सकता है?

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गुरु ग्रह का जीवन में महत्व

शिक्षा, करियर, विवाह, संतान, धन और समृद्धि, स्वास्थ्य और दीर्घायु, आध्यात्मिक विकास, आत्मबोध, विवेक, संयम, पठन-पाठन, शास्त्रार्थ, विद्वता, धन प्रबंधन, धार्मिक कार्य में रूचि, रीति-रिवाजों का पालन, कानून, नीति शास्त्र, तीर्थयात्रा, पेट की बीमारी, मधुमेह और तपस्या आदि के कारक ग्रह बृहस्पति हैं। अपनी शुभता और सकारात्मक प्रभावों से जीवन के इन सेक्टर से जुड़े फल प्रदान कर वे व्यक्ति को जीवन की ऊंचाइयों पर ले जाते हैं। वहीं जब गुरु ग्रह अशुभ होते हैं, तो जातक के जीवन में संकटों का अंबार लग जाता है। शादी में विलंब, शादीशुदा जिंदगी में कष्ट, धन का संकट, शिक्षा पर नकारात्मक असर, संतान को कष्ट जैसी समस्याएं गुरु दोष के लक्षण हैं।

गुरु ग्रह कब होते हैं अशुभ?

बृहस्पति बाधा से वैवाहिक जीवन, करियर और धन पर सबसे अधिक असर होता है।

वैदिक ज्योतिष के मुताबिक जब कुंडली में गुरु ग्रह की अशुभ स्थिति और उनके कमजोर होने से जीवन में आई मुश्किलों को 'बृहस्पति या गुरु बाधा' कहा गया है। बृहस्पति ग्रह सबसे ज्यादा अशुभ होते हैं, जब वे मकर राशि में नीच के होते हैं। शुक्र उनके शत्रु ग्रह हैं, इसलिए शुक्र की राशि वृषभ और तुला में भी वे अशुभ माने गए हैं। वहीं, शुक्र, राहु, केतु और शनि से दृष्ट होने पर वे दूषित हो जाते हैं। साथ ही, जब गुरु ग्रह कुंडली के 6, 8 या 12वें में होते हैं, तब भी वे अशुभ होते हैं। इस स्थितियों में व्यक्ति को शिक्षा, करियर, धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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बृहस्पति को मजबूत करने के उपाय

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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