Hindu Panchang: शुभ काम और यात्रा पर निकलने से पहले जरूर देखें पंचांग की ये 3 चीजें, वरना बिगड़ जाता है बनता काम!
Hindu Panchang: हिंदू धर्म में पंचांग हर हिन्दू के जीवन और घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो किसी दिन की विशेष की ग्रहों और राशियों की खगोलीय स्थिति की जानकारी देता है। सदियों से ज्योतिष, पंडित या जानकार लोग पंचाग का इस्तेमाल दैनिक जीवन में होने वाली घटनाओं के बारे में अनुमान लगाने के करते आ रहे हैं। इसका उपयोग शुभ मुहूर्त निकालने, धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सही समय का निर्धारण करने में किया जाता है, लेकिन पंचाग केवल इतना ही नहीं है। आइए जानते हैं, हिन्दू धर्म में पंचांग के पांच प्रमुख अंग क्या हैं, इस का क्या महत्व है और शुभ काम और यात्रा पर निकलने से पहले पंचांग की कौन-सी 3 चीजें जरूर देखनी चाहिए?
पंचांग के पांच प्रमुख अंग क्या हैं?
पंचांग दो शब्दों का मेल है, 'पंच' और 'अंग'। पारंपरिक रूप से पंचांग के ये पांच अंग हैं: तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण।
- तिथि: चंद्रमा के पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने में लगने वाले समय को तिथि कहते हैं। सामान्य तौर पर एक तिथि की अवधि कम से कम 20 घंटे और अधिक से अधिक 27 घंटे की होती है.
- वार: सप्ताह के सात दिनों को वार कहते हैं। सप्ताह की शुरुआत रविवार से होती है।
- नक्षत्र: तारों के 27 समूह, स्थिति और आकार को नक्षत्र कहते हैं, जिसमें चंद्रमा और सूर्य समेत सभी ग्रह भ्रमण (गोचर) करते हैं।
- योग: सूर्य और चंद्रमा के बीच के बनने वाले कोण को योग कहते हैं। ये 27 प्रकार होते हैं, जैसे- प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगंड आदि।
- करण: तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं, इसलिए एक एक चंद्र मास में 60 करण होते हैं।
हिंदू धर्म में पंचांग का महत्व
शुभ मुहूर्त: पंचांग के माध्यम से शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। विवाह, गृह प्रवेश, यात्रा और अन्य महत्वपूर्ण कार्य शुभ मुहूर्त में करने से सफलता मिलती है, ऐसा माना जाता है।
धार्मिक अनुष्ठान: पंचांग के अनुसार ही पूजा-पाठ, व्रत और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव: पंचांग में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का भी उल्लेख होता है। बता दें कि ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
कृषि: पंचांग का उपयोग कृषि कार्यों यानी खेती-बारी के लिए भी किया जाता है। आज भी अधिकांश भारतीय किसान पंचांग के अनुसार फसल बोने और काटने का समय निर्धारित करते हैं।
शुभ काम और यात्रा पर निकलने से पहले देखें ये 3 चीजें
ज्योतिषियों और पंडितों के अनुसार, पंचांग का उपयोग दैनिक जीवन में होने वाली घटनाओं के बारे में अनुमान लगाने के लिए भी किया जाता है, जैसे कि किसी विशेष दिन किस प्रकार का मौसम रहेगा, या कोई शुभ या अशुभ घटना होने वाली है या नहीं? किस दिशा में यात्रा से लाभ या हानि होगी? यदि आप कोई शुभ काम करना चाहते हैं या किसी शुभ या खास काम से घर से बाहर निकल रहे हैं या फिर लंबी यात्रा पर जा रहे हैं, तो पंचांग की 3 चीजें जरूर जान लेनी चाहिए, ये है:
राहु काल
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, राहुकाल वह समय होता है जब राहु ग्रह की दृष्टि पृथ्वी पर पड़ती है और यह अशुभ माना जाता है। यह सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच लगभग 90 मिनट तक रहता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु को पापी ग्रह माना गया है, जिसकी दृष्टि अशुभ और अनिष्टकारी मानी गई है। मान्यता है कि राहु में शुभ काम या यात्रा की शुरुआत करने से अड़चने आती है, धन हानि होती है और दुर्घटनाएं होती हैं।
गुलिक काल
बहुत से लोग राहु काल देखते हैं, लेकिन गुलिक काल नहीं देखेते हैं, जबकि गुलिक काल भी राहु काल से कम खतरनाक नहीं है। यह सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय का आठवां हिस्सा होता है। ज्योतिष शास्त्र में गुलिक को शनि का पुत्र कहा गया है।
दिशा शूल
दिशा शूल का अर्थ है जिस दिशा में आप जाना चाहते हैं, उस दिशा में बाधा और कष्ट प्राप्त होना। बता दें कि 'शूल' का अर्थ है 'भीषण पीड़ा'। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, किसी खास दिन को किसी दिशा में यात्रा करना अशुभ माना जाता है, जिसे दिशा शूल कहते हैं, जैसे सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।