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Holashtak 2024: अगले 8 दिनों तक बंद रहेंगे 16 संस्कार, आज से होलाष्टक की हुई शुरुआत

Holashtak 2024 Date: वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 17 मार्च से होलाष्टक की शुरुआत हो गई है। अब अगले 8 दिनों तक सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। साथ ही 16 संस्कार भी बंद रहेंगे। तो आइए इस खबर में जानते हैं आखिर होलाष्टक क्यों लगता है। साथ ही इस दौरान शुभ कार्य क्यों बंद हो जाते हैं।
10:51 AM Mar 17, 2024 IST | Raghvendra Tiwari
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Holashtak 2024 Date: वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 17 मार्च से होलाष्टक की शुरुआत हो गई है। होलाष्टक के 8 दिन बाद यानी 25 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी। वहीं होली से ठीक एक दिन पहले यानी 24 मार्च को होलिका दहन होगा। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, हिंदू साल का अंतिम महीना फागुन का महीना होता है।

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मान्यता है कि फाल्गुन माह की अष्टमी तिथि से लेकर होलिका दहन तक के अवधि को होलष्टक कहा जाता है। इस 8 दिन में सभी शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होता है। ज्योतिषियों के अनुसार, होलाष्टक की अवधि में सारे प्रमुख संस्कार भी बंद हो जाते हैं। तो आज इस खबर में जानेंगे कि आखिर होलाष्टक क्यों लगता है और हिंदू धर्म में 16 संस्कार कौन-कौन हैं।

होलाष्टक क्यों लगता है

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भक्त प्रहलाद को होली से ठीक आठ दिन पहले यानी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक काफी यातनाएं दी गई थीं। कहा जाता है कि हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन माह के अष्टमी तिथि के दिन ही भक्त प्रह्लाद को बंदी बनाया था। इन दिनों वह अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए कई तरह की योजनाएं बनाई थीं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इन 8 दिनों में इतनी सारी यातनाएं बनाई गई कि इसे अशुभ माना गया।

हिरण्यकश्यप ने पूर्णिमा के ठीक एक दिन पहले भक्त प्रह्लाद को जलाने के लिए बहन होलिका को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठने के लिए कहा था। माना जाता है कि होलिका के पास दैवीय शक्ति वाली एक चादर थी। होलिका भक्त प्रह्लाद को लेकर अग्नि में जाकर बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका स्वयं जल गई और भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। तब से लेकर उस दिन को होलिका दहन के रूप मनाया जाता है।

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होलाष्टक में बंद रहेंगे 16 संस्कार

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने होलाष्टक में ही कामदेव को भस्म किया था। होलाष्टक के 8 दिन की अवधि में हर दिन अलग-अलग ग्रह उग्र रूप में होते हैं। इसलिए कहा जाता है कि होलाष्टक में सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। लेकिन जन्म और मृत्यु के बाद किए जाने वाले हर कार्य कर सकते हैं।

हिंदू धर्म में कौन-कौन हैं 16 संस्कार

गर्भाधान, पुंसवन, सीमंतोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारंभ, केशांत, समावर्तन, विवाह और अन्त्येष्टि संस्कार हैं

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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