जैन धर्म के संत की क्या है सरस्वती साधना? बच्चे कठिन परीक्षा भी कर सकते हैं पास
Jainism Saint Saraswati Sadhana : जैन धर्म के जाने माने धर्मगुरु और महज 12 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेने वाले जैन मुनि अजीतचंद्र सागर महाराज ने सरस्वती साधना की खोज की है। उनके नाम कई रिकॉर्ड पहले से दर्ज हैं। जैन मुनि अजितचंद्र सागर ने 8 साल तक मौन व्रत धारण कर रखा था। उन्हें 23 आगमों की 22 हजार से भी ज्यादा गाथा कंठस्थ हैं, जुबानी याद हैं।
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मुंबई के शनमुखानंद हॉल में 3000 प्रेक्षकों के सामने 200 अवधान किया था और मुंबई के NSCI स्टेडियम में हजारों लोगों के सामने 500 अवधान का रिकॉर्ड बनाया था, जिसे देखने महाराष्ट्र के चीफ जस्टिस समेत 15 हाई कोर्ट जज पहुंचे थे। एक संत की ऐसी मानसिक शक्ति को देखकर हर कोई हैरान था। 19 साल की उम्र में अपने गुरु नयनचंद्रसागर सुरीश्वरजी महाराज के मार्गदर्शन में उन्होंने आत्मविश्वास का अद्भुत चमत्कार दिखाया था। 1500 लोगों के सामने जैन संत ने पहली बार 100 अवधान किया था। 100 अवधान का मतलब बिना कहीं कुछ लिखे भीड़ द्वारा कही गई 100 बातों को याद रखना और फिर उन सभी बातों को उसी क्रम में दोहराना।
बातों को याद रखना और फिर उसी क्रम में दोहराना, किसी चमत्कार से कम नहीं
आज के इस जमाने में जहां लोगों को 10 अंकों का मोबाइल नंबर भी याद नहीं रहता है, ऐसे में हजारों लोगों की भीड़ के बीच कहे गए 500 बातों को एक ही बार में याद रख लेना और उन बातों को उसी क्रम में दोहराना ये किसी चमत्कार से कम नहीं है। जैन मुनि अजीतचंद्रसागर महाराज इसे कोई चमत्कार नहीं मानते हैं, उनकी मानें तो ये वो साधना है जो कठिन तपस्या, योग और परिश्रम से हासिल किया जा सकता है। गुरुदेव ने पूरे भारत के छात्र और छात्राओं की मानसिक विकास को बढ़ाने के लिए इस सरस्वती साधना की खोज की है। एक ऐसी साधना जिसकी मदद से कोई भी स्टूडेंट किसी भी परीक्षा में फेल नहीं होगा। दुनिया भर के 50 हजार से अधिक भारतीय छात्र सरस्वती साधना को आजमा चुके हैं।
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विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में जैन मुनि
सहस्त्रावधान का मतलब है विभिन्न श्रेणियों और हर वर्ग के लोगों द्वारा कही गई 1000 बातों या सवाल-जवाब को याद रखकर उन्हें उसी क्रम में दोहराना। आज से करीब 600 साल पहले जैन धर्म के गुरु भगवंत श्री मुनि सुंदर सूरिजी महाराज ने ऐसा करके इतिहास रचा था और एक बार फिर 21वीं सदी में ऐसा होने जा रहा है। मुंबई के वर्ली NSCI स्टेडियम में हजारों लोगों की मौजूदगी में जैन मुनि अजीतचंद्रसागर इस रिकॉर्ड को दोहराएंगे। एक मई 2024 को होने वाले इस कार्यक्रम में देश के कई मुख्यमंत्री, हाई कोर्ट जज और विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धजीवी मौजूद रहेंगे। इंसान अपनी मानसिक शक्ति का इस्तेमाल किस हद तक कर सकता है, ये उसका सबसे बड़ा उदाहरण साबित होगा।