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Jaya Ekadashi 2025: 7 या 8 फरवरी, कब है जया एकादशी? जानें पूजा विधि और व्रत का महत्व

Jaya Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में जया एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं जया एकादशी कब है? जया एकादशी व्रत का महत्व और पूजा विधि क्या है?
09:02 AM Feb 06, 2025 IST | Simran Singh
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जया एकादशी पूजन विधि और उपाय

Jaya Ekadashi 2025: सनातन धर्म में एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इसका व्रत मन और तन दोनों को प्रभावित करता है। एकादशी के व्रत को नियम के साथ पालन किया जाए तो यह लाभदायक होता है। एकादशी का व्रत करने से चंद्रमा के बुरे प्रभाव को रोका जा सकता है। व्यक्ति के जीवन पर ग्रहों का जो प्रभाव पड़ता है उसको भी रोका जा सकता है। धर्म की अच्छी खासी जानकारी रखने वाली नम्रता पुरोहित ने जया एकादशी से जुड़ी खास जानकारी दी है। आइए जानते हैं कि जया एकादशी कब है, व्रत और पूजा विधि क्या है?

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कब है जया एकादशी?

इस बार एकादशी तिथि की शुरुआत 7 फरवरी 2025 शुक्रवार को रात 9:26 मिनट पर होगी, एकादशी तिथि का समापन 8 फरवरी 2025 शनिवार रात 8:14 मिनट पर होगी। उदया तिथि के अनुसार जया एकादशी का उपवास 8 फरवरी 2025 शनिवार को रखा जाएगा। एकादशी तिथि का पारण 9 फरवरी 2025 वार रविवार को होगा। इसका समय 9 फरवरी सुबह 7:04 मिनट से लेकर 9:17 मिनट तक रहेगा।

जया एकादशी की पूजा विधि

8 फरवरी शनिवार को एकादशी तिथि है। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी का पीपल के पेड़ में निवास होता है और इस दिन एकादशी तिथि का होना बहुत ही शुभ संयोग है। ऐसे में पीपल और केले के पेड़ की पूजा जरूर करें। सुबह घी का दीपक जलाएं, शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

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कैसे रखते हैं जया एकादशी का व्रत

माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी कहा जाता है। एकादशी का व्रत निर्जल या फलाहार पर रखा जाता है। इस व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प ले, उसके बाद दोपहर 12:00 बजे से पहले भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करें, भगवान कृष्ण को फलों और पंचामृत का भोग लगाए। श्री हरि विष्णु को पीला चंदन पीले पुष्प अर्पित करें। विष्णु सहस्त्रनाम और भगवद् गीता के 11वें अध्याय का पाठ जरूर करें।

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जया एकादशी के दिन क्या न करें?

आप व्रत-उपवास करें या ना करें लेकिन इस दिन तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन मांस-मदिरा का प्रयोग ना करें। इस दिन मसूर की दाल,बैंगन और विशेषकर चावल खाना निषेध माना गया है।

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जया एकादशी का महत्व

भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर से जया एकादशी के महत्व के बारे में बताया है। जया एकादशी जैसा कि नाम से ही जाना जा सकता है जय -विजय दिलवाने वाली एकादशी। इस एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है, व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। व्यक्ति भूत, पिशाच और प्रेत से मुक्त हो जाता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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