होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियास्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Jitiya Vrat 2024: छठ की तरह 3 दिनों तक महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Jitiya Vrat Puja Vidhi 2024: संतान की लंबी आयु के लिए माताएं जितिया व्रत रखती हैं जो बिहार, यूपी और झारखंड में छठ की तरह ही खास पर्व माना जाता है। आइए जितिया व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त जानते हैं।
02:19 PM Sep 23, 2024 IST | Simran Singh
जितिया व्रत
Advertisement

Jitiya Vrat Puja Vidhi 2024: भक्ति और उपासना का सबसे कठिन व्रत जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत जो संतान की लंबी आयु सुख समृद्धि शांति के लिए किया जाता है। माताएं इस व्रत को निर्जला रखती हैं। ज्यादातर ये व्रत यूपी, बिहार और झारखंड में किया जाता है। छठ व्रत की तरह ही इसमें भी नहाए-खाए और खुर फिर पारण किया जाता है यानी तीन दिनों तक इस व्रत को किया जाता है। सप्तमी तिथि में नहाए-खाए, खुर, जितिया अष्टमी तिथि में और व्रत का पारण नवमी तिथि में किया जाता है। जितिया यानी निर्जला व्रत अष्टमी तिथि को रखा जाता है। धर्म-ज्योतिष पर अच्छी जानकारी रखने वालीं नम्रता पुरोहित ने जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताया है, आइए विस्तार से जानते हैं।

Advertisement

जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 24 सितंबर, मंगलवार को दोपहर 12:38 पर होगी तो वहीं तिथि की समाप्ति 25 सितंबर, बुधवार को दोपहर 12:10 पर होगी। उदया तिथि के अनुसार जितिया का व्रत 25 सितंबर को ही रखा जाएगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:35 से सुबह 5:22 तक है। अमृत काल 12:11 से 1:49 तक है। विजय मुहूर्त दोपहर 2:12 से दोपहर 3:00 तक है। शाम को 6:13 से शाम 7:25 तक भी मुहूर्त रहेगा। चौघड़िया का शुभ मुहूर्त शाम 4:45 से शाम 6:13 तक है।

ये भी पढ़ें- ओठगन के बिना शुरू नहीं हो सकता है जितिया व्रत, जानिए क्या है ये रस्म?

जितिया व्रत की पूजा विधि

अष्टमी तिथि के दिन स्नान आदि से निवृत होने के बाद भगवान भास्कर को जल अर्पण किया जाता है प्रदोष काल में जीमूतवाहन देवता की पूजा की जाती है। देवता जी को रोली, अक्षत,धूप-दीप,लाल और पीली रुई से सजाया जाता है। पेड़े का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्तियां बनाकर लाल सिंदूर लगाया जाता है। दूर्वा की माला, लौंग,इलायची, पान-सुपारी, श्रृंगार का सामान, गांठ का धागा, सरसों का तेल आदि पूजन की सामग्रियों को रखा जाता है फिर व्रत की कथा पढ़ी जाती है कथा आप खुद भी पढ़ सकते हैं या पंडित को बुलाकर भी सुन सकते हैं।

Advertisement

ये भी पढ़ें- Jitiya Vrat Katha: बच्चों की उम्र और करियर दोनों में होगी वृद्धि!

परिवार की सुख समृद्धि और वंश वृद्धि की कामना के साथ बांस के पत्रों से भगवान की पूजा की जाती है। नहाए-खाए वाले दिन भी महिलाओं को सात्विक भोजन ही करना चाहिए। भोजन में  मंडवे की रोटी यानी रागी के आटे से बनी रोटी, नोनी का साग और झिंगनी की सब्जी को खाया जाता है। व्रत के पारण के दिन भी इस प्रकार सात्विक भोजन ही किया जाता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App
Advertisement
Tags :
Jitiya VratJitiya Vrat Puja Vidhi
Advertisement
Advertisement