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Jitiya Vrat 2024: ओठगन के बिना शुरू नहीं हो सकता है जितिया व्रत, जानिए क्या है ये रस्म?

Jitiya Vrat 2024: मां के असीम प्रेम का प्रतीक जितिया व्रत तीन दिनों तक चलने वाला एक कठिन व्रत है। इस व्रत के बीच ‘ओठगन’ नामक एक ऐसी रस्म या विधि करनी होती है, यदि वह नहीं किया तो जितिया व्रत शुरू नहीं कर सकते हैं। आइए जानते हैं, ओठगन क्या है और इसमें क्या होता है?
03:06 PM Sep 21, 2024 IST | Shyam Nandan
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Jitiya Vrat 2024: पितृपक्ष में मनाया जाने वाला जितिया व्रत बहुत कठिन व्रतों में से एक है। आश्विन माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को रखे जाने वाले इस व्रत की शुरुआत नहाय-खाय और पूजा से सप्तमी तिथि से होती है। अष्टमी तिथि को पूरे दिन और पूरी रात निर्जला उपवास करने के बाद अगले दिन इसका पारण होता है। लेकिन इस बीच में एक ऐसी रस्म या विधि करनी होती है, यदि वह नहीं किया तो जितिया व्रत शुरू नहीं कर सकते हैं। इस रस्म का नाम है, ‘ओठगन’ (Othgan)। आइए जानते हैं, ओठगन क्या है और इसमें क्या होता है?

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कब रखा जाएगा जितिया व्रत 2024?

संतानवती महिलाएं यानी माताएं हर साल आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अपने बच्चों की खुशहाली और दीर्घायु के लिए यह जितिया करती हैं। यह व्रत मां के असीम प्रेम का प्रतीक है। इस साल यह व्रत 24 और 25 सितंबर के दोनों दिन पड़ रहा है।

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ओठगन क्या है?

जितिया पर्व में ओठगन एक ऐसी रस्म या विधि है, जिस पूरा करने के बाद से ही इस पर्व की शुरुआत होती है। यह रस्म ब्रह्म मुहूर्त के बाद सुबह में पौ फटने से पहले किया जाता है। बिहार के मिथिला में इस रस्म को 'उठगन' भी कहा जाता है। इस रस्म के तहत व्रत रखने वाली महिलाएं यानी व्रती सवेरे-सवेरे किसी पंछी, खास कर कौआ के उठने और शोर करने से पहले यह विधि करती हैं।

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इस रस्म के तहत घर के आंगन में झिंगुनी यानी तोरई के पत्ते पर दही-चूरा और मिठाई चढ़ाई जाती हैं। तोरई के पत्ते के संख्या व्रती महिला के संतान की संख्या से एक अधिक होती है, जो पूर्वजों और पितरों का भाग होता है। जल से अर्घ्य देकर झिंगुनी के पत्तों पर चढ़े प्रसाद को बेटा-बेटियों को खिला दिया जाता है। मान्यता है कि इससे पूर्वजों और पितरों का आशीर्वाद बच्चों पर बना रहता है और वे स्वस्थ और दीर्घायु होते हैं।

दो प्रकार से मनाते हैं जितिया व्रत

संतान स्वस्थ, सुखी और संपन्न हो इसके लिए जितिया व्रत को बेहद शुद्धता और पवित्रता से किया जाता है। 24 घंटे से भी अधिक समय तक अन्न-जल ग्रहण नहीं करना इसे बेहद कठिन बना देता है। रीति-रिवाजों के मुताबिक यह व्रत दो प्रकार से मनाया जाता है, इसमें एक तो जितिया पर्व होता है और दूसरा खरजितिया होता है। परंपरा के मुताबिक, खरजितिया पर्व जितिया पर्व से भी ज्यादा कठिन होता है। खरजितिया खास तौर बेटियों के अच्छे सौभाग्य के लिए किया जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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