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Kaalchakra: किस ग्रह के कमजोर होने से बढ़ता है तनाव? पंडित सुरेश पांडेय से जानें बचाव के उपाय

Kaalchakra News24 Today: आज के समय में ज्यादातर लोगों को किसी न किसी कारण तनाव है, जिससे छुटकारा पाने के लिए वो न जाने क्या-क्या तरीके अपनाते हैं। लेकिन फिर भी इससे उन्हें मुक्ति नहीं मिलती है। चलिए जानते हैं किस ग्रह के कमजोर होने के कारण तनाव बढ़ता है।  
10:07 AM Dec 21, 2024 IST | Nidhi Jain
अब तनाव से जल्द मिलेगा छुटकारा!
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Kaalchakra News24 Today, Pandit Suresh Pandey: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक तनाव होना आम बात है। तनाव से छुटकारा पाने के लिए जहां कुछ लोग महंगे से महंगा ट्रीटमेंट कराते हैं, तो कुछ दवा खाकर थक जाते हैं। लेकिन कई बार तमाम तरीके अपनाने के बाद भी उन्हें तनाव से छुटकारा नहीं मिलता है। हालांकि इसके पीछ कुंडली में मौजूद ग्रहों का अशुभ प्रभाव भी हो सकता है। ज्योतिष में बताया गया है कि ग्रहों की कमजोर स्थिति के कारण जातकों का तनाव भी बढ़ता है।

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आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको बताने जा रहे हैं कि किस ग्रह के कमजोर होने से तनाव बढ़ता है। इसी के साथ आपको इससे बचने के उपायों के बारे में भी पता चलेगा।

किस ग्रह के कमजोर होने से बढ़ता है तनाव?

ज्योतिष के अनुसार, तनाव और डिप्रेशन का सीधा संबंध चंद्रमा ग्रह से है। चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है, जिसका सीधा प्रभाव मन पर पड़ता है। कुंडली में चंद्रमा चौथे भाव का स्वामी है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा या चतुर्थेश नीच राशि में हो या षष्ठेश के साथ इसकी युति हो या राहु-केतु के साथ युति होकर कुंडली में ग्रहण योग निर्मित हो रहा हो, तो डिप्रेशन या मानसिक रोग जल्दी होने के आसार रहते हैं।

कुंडली में पहले भाव में चंद्रमा नीच का हो या पापी ग्रहों के प्रभाव में हो, तो व्यक्ति को बहुत जल्दी और बहुत आसानी से डिप्रेशन हो जाता है। ऐसे लोग बहुत ज्यादा सोचते हैं और चिंता भी करते हैं। नींद आ जाए, तो बार-बार टूटती है और बुरे सपने बहुत आते हैं। इसके अलावा नींद में चलने की भी समस्या होने लगती है। शरीर में पूरे दिन आलस-थकान रहता है। ऐसे लोगों को बहुत जल्दी पीलिया, खून के रोग, जल से भय की समस्या होती है।

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तनाव से बचने के उपाय

कुंडली में पितृदोष होने पर भी डिप्रेशन, तनाव की समस्या हो सकती है। ऐसे में त्रिपिंडी श्राद्ध, नारायण बलि कर्म और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। पितृदोष की शांति के लिए पितरों का पिंडदान और श्राद्ध में हर रोज पितरों को जल व काले तिल अर्पित करने चाहिए।

कुछ ग्रहों की दशाएं या अंतर्दशा भी डिप्रेशन का कारण बनती हैं। जब भी शनि की साढ़ेसाती आती है या शनि अष्टमेश, अष्टम स्थिति में हो, तो मन परेशान रहता है। ऐसे में राहु और शनि के मंत्रों का नियमित जाप करना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। 

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