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Kaalchakra: गौ-सेवा से दूर होंगे 12 राशियों के ग्रह दोष! पंडित सुरेश पांडेय से जानें लाभ

Kaalchakra News24 Today: गाय को पूजनीय माना जाता है, जिनकी पूजा करने से बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं। चलिए पंडित सुरेश पांडेय से जानते हैं गौ-सेवा के महत्व और लाभ के बारे में।
10:43 AM Dec 13, 2024 IST | Nidhi Jain
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Kaalchakra News24 Today, Pandit Suresh Pandey: सनातन धर्म के लोगों के लिए गौ सेवा का खास महत्व है। भारतीय संस्कृति में गाय को पवित्र माना गया है, जिसकी पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गाय यानी गौ माता में विभिन्न देवी-देवताओं का वास है।

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यदि कोई व्यक्ति रोजाना गौ माता की पूजा करता है, तो उसे कई देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा कुंडली में कमजोर ग्रहों की स्थिति भी मजबूत होती है। आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको बताने जा रहे हैं गौ-सेवा से कैसे ग्रह दोष को दूर किया जा सकता है। बता दें कि ये उपाय 12 राशियों के जातक कर सकते हैं।

गौ-सेवा का महत्व 

गाय का गोबर और गोमूत्र दरिद्रता के नाशक हैं। पद्म पुराण के अनुसार, गाय के मुख में चारों वेदों का निवास है। गाय के सींग के मूल में सदा ब्रह्मा और विष्णु प्रतिष्ठित हैं। गाय के सींग के अग्रभाग में तीर्थ प्रतिष्ठित हैं। भगवान शिव सींग के मध्य में हैं। गौ की ललाट पर गौरी, नासिका के अग्रभाग में भगवान कार्तिकेय, नासिका के दोनों गुटों में कंबल और अश्वतर ये दोनों नाग प्रतिष्ठित हैं।

गाय के दोनों कानों में अश्विनी कुमार, नेत्रों में चंद्र और सूर्य, दांतों में आठों वसुगण, जीभ में वरुण, कंठ में सरस्वती का वास है। गाय के गंड स्थलों में यम और यक्ष, ओष्ठों में दोनों संध्या, ग्रीवा में इंद्र, मौर में राक्षस, पार्षिण भाग में सौरमंडल और जंघाओं में चारों चरणों में धर्म विराजमान हैं। खुरों के मध्य में गंधर्व, अग्रभाग में सर्प और पश्च भाग में राक्षस गण हैं। गौ के पृष्ठ देश में एकादश रुद्र, कमर में पितर, कपोलों में मानव, अपान में स्वाहा रूप अलंकार है। माना जाता है कि गौ के रोम समूह में 33 कोटि देवी-देवता प्रतिष्ठित हैं।

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गौ-सेवा से कैसे दूर होगा ग्रह दोष?

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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