कन्याकुमारी का भगवती अम्मन मंदिर, जहां PM मोदी ने की पूजा-अर्चना, जानें इससे जुड़ी 10 खास बातें
Bhagavathi Amman Temple: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शाम तमिलनाडु के कन्याकुमारी में स्थित प्रसिद्ध भगवती अम्मन मंदिर में दर्शन और पूजा की। पीएम मोदी अभी दक्षिण भारत में कन्याकुमारी के दौरे पर हैं, जहां वे 1 जून तक रहेंगे और चिंतन-साधना करेंगे। वे उसी स्थान पर ध्यान लगाएंगे, जहां स्वामी विवेकानंद ने साधना की थी। आइए जानते हैं, भगवती अम्मन मंदिर से जुड़ी 10 खास बातें, जो इसे और मंदिरों से अलग बनाती हैं। बता दें, यह मंदिर बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर के संगम पर स्थित है।
1- भगवती कुमारी अम्मन मंदिर को 108 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कहते हैं, देवी सती के शव का पिछला रीढ़ वाला भाग यहीं पर गिरा गिरा था, जिससे इस क्षेत्र में कुंडलिनी शक्ति की उपस्थिति बनी रहती है। यहां ध्यान लगाने और साधना करने व्यक्ति को विशेष अंतर्दृष्टि प्राप्त होती है।
2- इस मंदिर की अधिष्ठात्री देवी आदिशक्ति हैं, जिन्होंने सती और देवी पार्वती के रूप में भगवान शिव को अपने पति के रूप में वरण किया।
3- भगवती कुमारी अम्मन मंदिर में आदिशक्ति की पूजा एक किशोरी के रूप में की जाती है। इन्हें देवी कन्याकुमारी, श्री बाला भद्रा, श्री बाला और देवी कुमारी भी कहा जाता है।
4- मान्यता है कि इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भगवान परशुराम ने की थी, जो भगवान विष्णु के छठवें अवतार है। वे महादेव भगवान शिव के परमभक्त थे।
5- देवी कन्या कुमारी कौमार्य और तपस्या की देवी हैं। प्राचीन काल में लोग यहीं से संन्यास की दीक्षा लेते थे। कुछ हिन्दू पंथों में यह परंपरा आज भी कायम है।
6- मान्यता है भगवती कुमारी अम्मन मन की दुर्बलता और विचारों की कठोरता को दूर करती हैं और तन, मन और जीवन को निर्मल बनाती हैं। कहते हैं, जब भक्त पूरी भक्ति और चिंतन में देवी से प्रार्थना करते हैं, तो उनकी आंखों में या यहां तक कि उनके मन में भी आंसू आ जाते हैं।
7- इस मंदिर का इतिहास 3000 साल से भी अधिक पुराना माना है। मंदिर परिसर में भगवान सूर्यदेव, भगवान गणेश, भगवान अयप्पा, देवी बाला सुंदरी और देवी विजया सुंदरी को समर्पित अन्य खूबसूरत मंदिर भी हैं।
8- भगवती कुमारी अम्मन मंदिर के बारे कई कथाएं हैं। सबसे प्रसिद्ध कथा यह है कि राक्षस बाणासुर को वरदान मिला था कि उसे केवल एक कुंवारी लड़की ही मार सकती है। बाणासुर के आतंक को खत्म करने के लिए देवी पराशक्ति ने कुमारी (कुंवारी) लड़की का रूप धारण किया और एक भीषण युद्ध में देवी ने आखिरकार बाणासुर को पराजित कर दिया।
9- युद्ध के बाद नारद मुनि और भगवान परशुराम ने देवी से कलियुग के अंत तक धरती पर रहने का अनुरोध किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। जिसके बाद भगवान परशुराम ने समुद्र के किनारे, जहां 3 सागरों का जल मंदिर को अर्घ्य देता है, इस मंदिर का निर्माण किया और देवी कन्याकुमारी की मूर्ति स्थापित की।
10- भगवती कुमारी अम्मन से जुड़ी एक किंवदंती है कि देवी कुमारी के आभूषणों, विशेषकर हीरे की नथ, की चमक इतनी शक्तिशाली है, जो उन नाविकों को रास्ता दिखाती थी, जो बीच समुद्र में अपना रास्ता भूल जाते थे।
यहां कैसे पहुंचें?
तिरुवनंतपुरम, मदुरै, कोयंबटूर, पुडुचेरी और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों से कन्याकुमारी बस स्टैंड, पुथुग्रामम तक बसें चलती हैं। तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा यहां से लगभग 90 किमी की दूरी पर स्थित है। आप यहां ट्रेन से पहुंच सकते हैं, यह मंदिर कन्याकुमारी स्टेशन से लगभग 1 किमी दूरी पर स्थित है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।