होमखेलवीडियोधर्म मनोरंजन..गैजेट्सदेश
प्रदेश | हिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारदिल्लीपंजाबझारखंडछत्तीसगढ़गुजरातउत्तर प्रदेश / उत्तराखंड
ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थExplainerFact CheckOpinionनॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Kharmas 2024: दिसंबर में इस तारीख से लगेगा खरमास, जानें क्यों नहीं होते हैं इस अवधि में शुभ और मांगलिक कार्य!

Kharmas 2024: हिन्दू पंचांग के अनुसार, जब सूर्य राशिचक्र में अपने गोचर के दौरान धनु और मीन राशि में भ्रमण करते हैं, तो खरमास लगता है। यह एक महीने तक रहता है। इस दौरान पूजा-पाठ का विशेष महत्व है, लेकिन सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। आइए जानते हैं, दिसंबर में खरमास कब से है और इस दौरान मांगलिक कार्य क्यों नहीं होते हैं?
06:15 PM Nov 24, 2024 IST | Shyam Nandan
Advertisement

Kharmas 2024: हिन्दू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है, जो साल में दो बार आता है और हर बार एक-एक महीने की होता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं और प्रचलित रिवाजों के अनुसार, यह एक ऐसी अवधि है, जब मांगलिक और शुभ कार्यों को करना मना होता है। जी हां, इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य जैसे भूमि पूजन, भूमि निर्माण का आरंभ, गृह प्रवेश आदि और मांगलिक कार्य, जैसे विवाह, सगाई, मुंडन, उपनयन आदि आयोजन नहीं किए जाते हैं। बहुत से लोग इस दौरान विद्यारंभ, कर्ण और नासिका छेदन भी नहीं करते हैं। आइये जानते हैं, दिसंबर में खरमास कब से है और इस दौरान मांगलिक कार्य क्यों नहीं होते हैं?

Advertisement

दिसंबर में कब से है खरमास?

हिंदू पंचांग के अनुसार, खरमास उस समय शुरू होता है जब सूर्य देव गुरु ग्रह की राशि धनु में प्रवेश करते हैं। इस बार भगवान सूर्यदेव जब धनु संक्रांति के दिन यानी रविवार 15 दिसंबर को रात 10 बजकर 19 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेंगे, तो उसके साथ ही खरमास की शुरुआत होगी। जहां तक हिन्दू महीने के नाम की बात है, यह अक्सर पूस के महीने में लगता है। यह खरमास अगले साल मंगलवार 14 जनवरी, 2025 तक चलेगा। इस 30 दिनों की अवधि में सभी शुभ और मांगलिक कार्य बंद रहेंगे।

ये भी पढ़ें: Vastu Shastra: इन 5 पक्षियों की फोटो लगाने से होता है घर में ज्ञान और समृद्धि वास, पैसों से भरी रहती है तिजोरी!

खरमास में किस देवता के पूजा से फल मिलता है?

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भले ही मांगलिक और शुभ कारी बंद हो जाते हैं, लेकिन पूजा-पाठ और हवन आदि के काम बंद नहीं होते हैं। खरमास का सीधा संबंध भगवान सूर्य से है। इसलिए इस दौरान भगवान सूर्य की विशेष रूप से उपासना की जाती है, जिसका उपसंहार मकर संक्रांति त्योहार के साथ होता है। साथ ही खरमास के स्वामी भगवान विष्णु हैं। इस अवधि में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी की पूजा से सभी मनोरथ पूरे होते हैं।

Advertisement

खरमास में क्यों नहीं होते हैं मांगलिक कार्य?

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, खरमास तब लगता है, जब सूर्य राशिचक्र में अपने गोचर के दौरान धनु और मीन राशि में विराजमान होते हैं। धनु और मीन दोनों ही राशियों के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। सामान्य तौर गुरु की राशि में सूर्य गोचर को उत्तम माना जाना चाहिए, लेकिन यहां मामला बिलकुल उल्टा है। मान्यता के मुताबिक, धनु और मीन राशि में सूर्य गोचर से सूर्यदेव का तेज कम होने लगता है। वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रहों के राजा माने गए हैं और वे पिता पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए उनके तेज का कम होना मांगलिक करने के लिए उत्तम नहीं माना गया है।

ये भी पढ़ें: Numerology: 25 से 45 की उम्र में धन का अंबार लगा देते हैं इन 3 तारीखों में जन्मे लोग, इनमें कहीं आप भी तो नहीं!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App
Advertisement
Tags :
Hindu DharmaKharmasPuja Path
Advertisement
Advertisement