जब युद्ध से भाग गए भगवान श्रीकृष्ण, नाम पड़ा 'रणछोड़'; खुद नहीं जीत पाए तो किया यह काम!
Krishna Story: भगवान श्रीकृष्ण के हजारों नाम हैं। इन नामों से उनका एक नाम 'रणछोड़' भी है। उनके इस नाम से देश में कई मंदिर भी हैं। गुजरात के द्वारिका में रणछोड़जी का मन्दिर देश सबसे बड़ा और सबसे सुंदर मंदिर माना जाता है। 26 अगस्त, 2024 को जन्माष्टमी त्योहार मनाया जाएगा। आइए इस पावन त्योहार अवसर जानते हैं, भगवान श्रीकृष्ण को ‘रणछोड़’ नाम से क्यों बुलाया है, इसके पीछे की कथा क्या है?
जरासंध भगवान श्रीकृष्ण के मामा कंस का श्वसुर था। कंस का वध करने के कारण जरासंध ने भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए मथुरा पर की बार-बार आक्रमण किया। इसी क्रम में एक बार जरासंध ने श्रीकृष्ण के विनाश के लिए यवन देश के राजा कालयवन को भी युद्ध में शामिल कर लिया क्योंकि कालयवन अजेय था।
कालयवन को था शिव वरदान
राजा कालयवन ने भगवान शंकर को प्रसन्न कर वरदान प्राप्त किया था। जिसके अनुसार न तो कोई चंद्रवंशी और ना ही सूर्यवंशी उसे मार सकता है। न ही कोई अस्त्र-शस्त्र मार सकता है और न ही कोई अपने बल से उसे परास्त कर सकता है।
रणभूमि भाग गए भगवान कृष्ण
जरासंध के कहने पर कालयवन ने मथुरा पर आक्रमण कर दिया। भगवान कृष्ण को कालयवन के बारे में यह ज्ञात था कि कालयवन को परास्त नहीं किया जा सकता। इसलिए उन्होंने एक लीला रची और युद्ध यानी रणभूमि से भाग गए। जिसकी वजह से ही उनका नाम ‘रणछोड़’ पड़ा।
इक्ष्वाकु वंश के राजा की निद्रा
रणभूमि से भागकर श्रीकृष्ण छिपने के लिए एक ऐसी अंधेरी गुफा में पहुंचे, जहां पर इक्ष्वाकु वंश के राजा मांधाता के पुत्र और दक्षिण कोसल के राजा मुचकुंद गहरी निद्रा में सो रहे थे। राजा मुचकुंद ने असुरों से युद्ध कर देवताओं को विजय दिलाई थी, लेकिन लगातार कई वर्षों तक युद्ध करने के कारण वे बहुत थक गए थे। इसलिए देवराज इंद्र से अनुमति लेकर वे सोने लिए उस गुफा में आ गए थे। उन्होंने इंद्र से वरदान लिया था कि जो कोई भी उनको निद्रा से जगाएगा, वो जलकर भस्म हो जाएगा।
रणछोड़ मंदिर, डकोर (गुजरात)
भगवान श्रीकृष्ण ने किया यह काम
भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीला और एक योजना के तहत उस गुफा में प्रवेश किया था, जहां राजा मुचकुंद सोए थे। भगवान श्रीकृष्ण ने कालयवन को भ्रमित करने के लिए अपना पीतांबर राजा मुचकुंद के ऊपर डाल दिया और एक ओट में छिप गए। भगवान श्रीकृष्ण का पीछा करते हुए जब कालयवन उस गुफा में पहुंचा, तो उस अंधेरी गुफा में कालयवन को लगा कि श्रीकृष्ण गुफा में छिपकर सो रहे हैं।
ऐसे मारा गया अजेय कालयवन
रणभूमि से भागकर एक गुफा में भगवान श्रीकृष्ण को इस तरह निश्चिंत होकर सोता देख कालयवन क्रोध से भर उठा। आवेश में उसने बिना कुछ सोचे-समझे सोते हुए राजा मुचकुंद को श्रीकृष्ण समझकर जगा दिया। राजा मुचकुंद के जगते ही कालयवन भस्म हो गया। भगवान श्रीकृष्ण ने पूरे जीवनकाल में इस तरह अनेक लीलाएं की हैं और संसार का उद्धार किया। यह लीला भी इसी में से एक है, जिसके बाद उनका नाम ‘रणछोड़’ पड़ा।
इस कारण भी कहलाते हैं ‘रणछोड़’
कालयवन की मृत्यु का समाचार पाकर जरासंध और भी क्रोधित हो उठा। उसने दुगुनी शक्ति से मथुरा पर आक्रमण किया। मथुरा की सेना उसका मुकाबला नहीं कर सकती थी। दूसरी ओर यदि युद्ध होता तो अनेक निर्दोष लोग मारे जाते। यह सोचकर भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध लड़ना उचित नहीं समझा। कहते हैं, इसके बाद उन्होंने पूरी मथुरा को योगनिद्रा में सुला दिया। फिर उन्होंने भगवान विश्वकर्मा से गुजरात के द्वारिका में एक सुंदर नगरी बनाने के लिए कहा। फिर रातोरात भगवान श्रीकृष्ण योगनिद्रा में सोई मुथुरा के साथ युद्ध से पलायन कर द्वारिका चले गए। जरासंध से बिना लड़ाई किए मथुरा से द्वारिका चले जाने के कारण भी भगवान श्रीकृष्ण को ‘रणछोड़’ कहा जाता है।
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