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Lankapati Ravan: कैसे पड़ा रावण का नाम "रावण", जानें शिवलिंग से क्या है खास कनेक्शन

Lankapati Ravan: शिव पुराण के अनुसार, रावण भगवान शिव का परम भक्त था। रावण की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कई सारे वरदान भी दिए थे। लेकिन क्या आपको पता है रावण का नाम 'रावण' कैसे पड़ा। अगर नहीं तो आज इस खबर में जानेंगे कि रावण का नाम 'रावण' कैसे पड़ा।
12:58 PM Apr 05, 2024 IST | Raghvendra Tiwari
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Lankapati Ravan: "रावण" शब्द सुनते ही लोगों के मन में रावण और भगवान राम के युद्ध का ख्याल आता है। रावण को अधिकतर लोग राक्षस, दैत्य और अत्याचारी के रूप में जानते हैं, लेकिन बता दें कि शास्त्रों में रावण को महान विद्वान, प्रकांड पंडित, महाप्रतापी, राजनीतिज्ञ, महापराक्रमी योद्धा और अत्यंत बलशाली के नाम से भी जाना जाता है।

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कौन था रावण

पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ऋषि विश्रवा और कैकसी का पुत्र था। रावण की माता कैकसी क्षत्रिय राक्षस कुल की थीं। ऐसे में एक ब्राह्मण और राक्षस के मिलन से ब्रह्मराक्षस का जन्म हुआ था। रावण में क्षत्रिय और राक्षसी दोनों गुण कूट-कूट के भरा था। लेकिन इन सभी के अलावा रावण एक परम शिव भक्त भी था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रावण का जन्म देवगण परिवार में हुआ था। क्योंकि रावण के पिता एक महान ऋषि थे और उनके दादा ऋषि पुलस्य ब्रह्मा के दस मानस पुत्रों में एक थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, दैत्यों के राजा सुमाली और कैकसी के पिता की इच्छा थी कि उनकी बेटी कैकसी की शादी दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के साथ हो।

रावण का नाम कैसा पड़ा "रावण"

शिव पुराण के अनुसार, रावण भगवान शिव का सबसे परम और प्रिय भक्त था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण लंका पर विजय के बाद भगवान शिव से मिलने के लिए कैलास पर्वत पर गया। कैलास पर्वत पर भगवान शिव के वाहन नंदी ने रावण को रोक दिया। नंदी के रोकने के बाद रावण नाराज हो गया और नंदी को चिढ़ाने लगा। रावण के चिढ़ाने पर नंदी महाराज क्रोधित हो गए और रावण को श्राप दिया कि जिस लंका पर तुम घमंड कर रहे हो उसको नष्ट एक वानर करेगा।

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माना जाता है कि भगवान शिव के सामने रावण अपना प्रेम दिखाने के लिए कैलास पर्वत को ही उठा लिया और कहा कि अब भगवान शिव और पूरे कैलास को ही लंका लेकर जाऊंगा। रावण के  अहंकार को देखकर भगवान शिव ने कैलास पर अपने पैर की छोटी अंगुली रख दी। भगवान शिव के अंगुली रखते ही कैलास पर्वत अपनी जगह वापस स्थापित हो गया।

लेकिन इसी बीच रावण का हाथ कैलास पर्वत के नीचे दब गया। बता दें कि कैलास पर्वत का पूरा भार रावण के हाथ पर आ गया, जिससे वह दर्द से चिल्लाने लगा। तब जाकर रावण को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसी समय अपनी नसों को तोड़ कर तार की तरह इस्तेमाल करते हुए संगीत बनाया। भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने लगा।

कहा जाता है कि इस बीच रावण ने शिव तांडव स्त्रोत रचा था। रावण के असीम भक्ति को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और रावण को क्षमा कर दिया। इसके साथ ही भगवान शिव ने रावण को एक दिव्य तलवार चंद्रहास भी दी। शिव पुराण के अनुसार, इन सभी घटनाओं के बीच महादेव ने रावण का नाम "रावण" दिया। रावण का अर्थ तेज दहाड़ होता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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RavanShiv Tandav Stotra
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