Buddha Purnima 2024: जब भगवान बुद्ध ने महान दार्शनिक को समझाया 'मौन का महत्व', पढ़ें इंस्पिरेशनल स्टोरी
Lord Buddha Inspirational Story: एक बार एक महान दार्शनिक बुद्ध के पास आए। उनके पास पूछने के लिए बहुत सारे प्रश्न थे। वे बुद्ध से प्रश्न पूछने लगे।
बुद्ध ने उनकी हर बात सुनी और कहा, “क्या आप सचमुच उत्तर जानना चाहते है? यदि हां, तो आपकी इसकी कीमत चुकानी होगी, क्या आप कीमत चुका सकते हैं?”
दार्शनिक ने कहा, "मैं हर कीमत देने के लिए तैयार हूं। मुझे बस इन प्रश्नों के उत्तर चाहिए। मैं इन प्रश्नों के उत्तर के साथ इस धरती से जाना चाहूंगा।''
बुद्ध ने कहा, “यह बहुत अच्छी बात है, क्योंकि अधिकांश लोग उत्तर तो चाहते हैं, लेकिन कीमत चुकाने को तैयार नहीं होते हैं। इसलिए मैंने आपसे पूछा।
थोड़ी देर मौन के बाद बुद्ध फिर बोले, "आपको दो साल तक मौन रहना होगा। ये है आपके प्रश्नों की कीमत। दो साल के बाद आप जो पूछिएगा, मैं हर बात का जवाब दूंगा, मैं आपका सभी संदेह दूर कर दूंगा।"
दार्शनिक की दुविधा?
दार्शनिक सोचने लगे कि 'हां कहूं या ना कहूं'। उसने मन ही मन सोचा, "दो साल तो बहुत लंबा समय है, क्या तब वे मेरे प्रश्नों के उत्तर देंगे?"
दार्शनिक बुद्ध से पूछा, "क्या आप पूरा आश्वासन देते हैं कि आप दो साल बाद मेरे हर प्रश्न का उत्तर देंगे?"
बुद्ध ने उत्तर दिया, “हां, आप विश्वास रखें”
बुद्ध की बात सुनकर क्यों हंस पड़ा शिष्य
उसी समय, एक शिष्य जो पास के पेड़ के नीचे ध्यान में बैठा था, हंसने लगा।
दार्शनिक ने बुद्ध से पूछा, "वह क्यों हंस रहे हैं?"
बुद्ध ने उत्तर दिया, "उससे पूछो।"
दार्शनिक शिष्य के पास गये और उससे कारण पूछा।
शिष्य ने दिया हंसने के कारण का चौंकाने वाला जवाब
शिष्य ने उत्तर दिया, “यदि आपको कोई प्रश्न पूछना है, तो अभी पूछ लीजिए। मुझे भी इसी तरह धोखा दिया गया। उन्होंने मुझे भी बेवकूफ बनाया। लेकिन मैं आपको इतना अवश्य बता सकता हूं कि वे सच कह रहे है। दो साल बाद कुछ पूछेंगे, तो जवाब जरूर देंगे, लेकिन दो साल बाद पूछता कौन है? मैं यहां दो साल से चुपचाप बैठा हूं और वह मुझे उकसाते हुए कहते हैं कि 'भाई प्रश्न पूछो?' दो साल तक चुप रहने के बाद पूछने को कुछ नहीं बचता, हर जवाब मिल जाता है। अगर आपको पूछना है तो अभी पूछ लीजिए, नहीं तो दो साल बाद पूछने लिए कुछ नहीं बचेगा।”
दो साल बाद...
दार्शनिक उत्तर जानना चाहते था, इसलिए वे बुद्ध के साथ वहीं रुक गए। वे रोज चुपचाप बैठे रहते थे। वे समय की गिनती भूल गए, क्योंकि जिनके विचार धीमे हो जाते हैं, उन्हें समय का भान नहीं रहता है। दार्शनिक इस बात को भूल गए कि उन्हें वहां दो साल पूरे हो गए थे।
लेकिन बुद्ध को ठीक समय याद था। बुद्ध दार्शनिक के पास गए और कहा, “अब, आप कोई भी प्रश्न पूछ सकते हैं। जैसा कि मैंने वचन दिया था, मैं प्रत्येक चीज का उत्तर दूँगा। क्या आपको कुछ पूछना है?”
दार्शनिक हंसने लगे और बोले, “वह शिष्य सही कह रहा था। अब जब मैं यहां दो साल से बैठा हूं। मेरे पास पूछने के लिए कुछ नहीं बचा है। आपकी कृपा से, मुझे सभी उत्तर मिल गए हैं।”
ये भी पढ़ें: Buddha Purnima 2024: समस्याओं को इग्नोर कैसे करें? भगवान बुद्ध की इस कथा से सीखें