Mahabharata Story: अर्जुन की चौथी पत्नी थी एक जलपरी, लेने आई थी जान, दे बैठी दिल...पढ़ें एक लाजवाब लव स्टोरी
Mahabharata Story: महाभारत की हर कथा अपने आप में बेहद रोचक है। अर्जुन महाभारत के एक बेहद प्रमुख केंद्रीय पात्र हैं, जिनसे जुड़ी अनेक कथाएं है, जिसे जानकर आप कभी आश्चर्य में पड़ जाएंगे, तो कभी यकीन नहीं होगा कि यह कैसे संभव है? ऐसी ही एक कहानी अर्जुन की चौथी पत्नी की है, जो अर्जुन का जान लेने आई थी, लेकिन दिल दे बठी। आइए जानते हैं, यह पूरी प्रेम कथा क्या है और किस अंजाम तक पहुंची?
नागलोक की अर्जुन से दुश्मनी
जब अर्जुन 12 वर्ष का वनवास भोग रहे थे, तो उस दौरान वे हरिद्वार पहुंचे। जब वे गंगा स्नान कर रहे थे, तब यह खबर नागलोक पहुंची। नागलोक के वासियों ने अर्जुन को मारने की योजना बनाई। सवाल उठता है कि आखिर नागलोक वासियों की अर्जुन से क्या रंजिश थी? तो आपको बता दें कि जब अर्जुन इंद्रप्रस्थ नगर को बसा रहे थे, तो बसाने के दौरान उन्होंने धरती पर कई नागों का संहार किया था। इसलिए नागलोक वासी अर्जुन को शत्रु मानते थे।
नाग राजकुमारी ने लिया मारने का जिम्मा
नागों ने अर्जुन को मारने की एक योजना बनाई। नाग राजकुमारी ने कहा कि यह कार्य वह स्वयं करेगी और इसका नेतृत्व नाग राजकुमारी ने अपने हाथ में लिया। नाग राजकुमारी का नाम था उलूपी, जो बेहद सुंदर थी। उलूपी एक राज कन्या तो थी, लेकिन वह एक विधवा भी थी। दरअसल उसका पति भी नाग वंश से संबंधित था, पर उसकी मौत गरुड़ के हाथों हो गई थी। तब से राजकुमारी अपने पिता के साथ ही थी। उसे पिता का नाम था कौरव्य।
लेने आई थी जान, दे बैठी दिल
एक योजना के साथ नाग राजकुमारी उलूपी अर्जुन को मारने के लिए गंगा तट के किनारे पहुंची। उसकी योजना अर्जुन को पानी के अंदर ही डस लेने थी। लेकिन जब उसने अर्जुन के रूप-रंग और बलिष्ठ शरीर को देखा तो वह उन्हें देखकर मोहित हो गई। अर्जुन के प्रति उसके आर्कषण ने बदले की भावना को खत्म कर दिया। तब उलूपी नाग रूप से एक स्त्री के रूप में परिवर्तित हो गई। फिर उसने अर्जुन को अपने विष से बेहोश कर दिया और अर्जुन का अपहरण करके नाग लोक ले आई। नागलोक के सभी वासी उलूपी के इस साहस भरे काम की तारीफ कर रहे थे। वहीं उलूपी के मन में कुछ और था और वह अर्जुन की बेहोशी खत्म होने का इंतजार कर रही थी।
उलूपी ने किया प्रेम का इजहार
कुछ दिनों बाद जब अर्जुन को होश आया और उसने अपने सामने एक बेहद सुंदर नाग कन्या को देखकर आश्चर्य में पड़ गया। तब उलूपी ने उसे अपना परिचय दिया और कहा, "मैं अपने वंश का बदला लेने के लिए आपके पास आई थी, पर अब मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं। कृपया मेरे प्रेम को स्वीकार करें।" अर्जुन विवाह के विषय में कुछ कह पाते, इसके पहले ही उलूपी ने फिर कहा। "मैं जानती हूं कि आपकी तीन पत्नियां हैं। पर मुझे चौथी पत्नी बनने से कोई परेशानी नहीं है।"
इसके बाद उलूपी ने अपने पिता कौरव्य और समस्त नागवंश का अर्जुन से समझौता करवाया। इस समझौते के बदले अर्जुन ने उलूपी से विवाह किया। चूंकि वे हमेशा के लिए नागलोक में नहीं रह सकते थे, इसलिए कुछ समय बिताने के बाद वहां से जाने लगे। उलूपी ने अर्जुन को नहीं रोका, पर जाने से पहले उन्हें सूचना दी कि वह अर्जुन की संतान को जन्म देने वाली है।
एक जलपरी भी थी उलूपी
उलूपी एक नाग कन्या होने के साथ एक जलपरी भी थी। उसने अर्जुन को जल यानी पानी में रहने का विज्ञान समझाया। इसके साथ ही उसने अर्जुन को वरदान दिया कि जल युद्ध में आप कभी पराजित नहीं हो सकते। कोई जलचर आपको कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। एक रूमानी समय बिताने के बाद अर्जुन ने उलूपी से विदा ली।
अर्जुन और उलुपि का पुत्र इरावन
अर्जुन के जाने के बाद उलूपी ने इरावन नाम के पुत्र को जन्म दिया। इरावन वही थे, जिन्होंने महाभारत में पांडवों की जीत के लिए अपनी बलि दे दी थी। वह एक कुशल धनुर्धर और मायावी अस्त्रों का ज्ञाता था। वह नागलोक में ही माता उलूपी द्वारा पाल-पोसकर बड़ा किया गया था। इरावन भी अपने पिता अर्जुन की भांति रूपवान, बलवान, गुणवान और पराक्रमी था। कुरुक्षेत्र के युद्ध में, उसने शकुनि के छः भाइयों का वध किया और अन्य बहुत से योद्धाओं को परास्त किया। हालांकि इरावन का वध युद्ध के 8वें दिन के युद्ध में अलम्बुष नामक राक्षस ने किया। बाद वह किन्नरों के देवता कहलाए।
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