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Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में योगी की हठ तपस्या, 51 घड़ों से ठंडे पानी में रोज करते हैं स्नान

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में एक ऐसे योगी की हठ तपस्या देखने को मिलेगी जो कड़ाके की ठंड में ठंडे पानी से स्नान करते हैं और फिर भभूत लगाकर साधना में लीन होते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं।
12:43 PM Jan 08, 2025 IST | Simran Singh
महाकुंभ में योगी की हठ तपस्या
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दीपक दुबे,

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प्रयागराज: Maha Kumbh 2025: महाकुंभ प्रयागराज में अनेकों ऐसे हठ योगियों के दर्शन हो सकते हैं जिनका कठिन तप सोचने पर मजबूर कर देगा लेकिन यह हठ तपस्या हर किसी के बस की बात भी नहीं है। जरा सोचिए भला इतनी कड़ाके की ठंड में जब तेज हवा हो, गंगा जी का घाट और ठंडा पानी हो, जहां लोग रजाई, कंबल से निकलने में कतराते हैं, नहाना भी हो तो गीजर का पानी या गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैं और वहीं, महाकुंभ में एक ऐसे हठ योगी आए हैं जो भोर में सुबह 4 बजे 51 घड़ों के गंगा जी के पानी से प्रतिदिन स्नान करते है। इसके बाद गंगा जी की पूजा, अपने इष्ट देव, अपने गुरु का ध्यान अर्चन पूजन करते हैं। इसके बाद पूरे शरीर में भभूत लगाकर साधना में लीन हो जाते हैं। दिन भर निर्वस्त्र शरीर और छोटी से छाल नुमा कपड़ा लपेटे रहते हैं।

नागा संन्यासी प्रमोद गिरी महाराज

महाकुंभ में हठ तपस्या करने वाले योगी, नागा संन्यासी प्रमोद गिरी महाराज जी हैं। यह नागा संन्यासी अपने हठयोग के जरिए धर्म और तपस्या की अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं। यह अटल आवाहन अखाड़े से जुड़े हुए है उनकी ऐसी साधना और तपस्या ने महाकुंभ में आए सभी को अचंभित कर दिया है।

आपको बता दें कि पूरे महाकुंभ क्षेत्र में घना कोहरा छाया हुआ है और लोग ठंड से बचने के अलग-अलग जतन कर रहे हैं। बीच बीच में बारिश होने की वजह से यहां ठंड और भी ज्यादा बढ़ जाती है लेकिन प्रमोद गिरी महाराज प्रतिदिन 51 घड़ों से ठंडे पानी से नहाते हैं। न सिर्फ 51, बल्कि इस संख्या को बढ़ाकर 151 घड़े तक से नहाने की है। इनकी इस कठिन तपस्या को इनके पास आने वाले भक्त और अनुयायी एक विशेष तपस्या मानते हैं।

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क्या है ऐसी तपस्या की वजह?

News24 से खास बातचीत में बताया कि उनकी तपस्या ईश्वर और देश की खुशहाली और सनातन धर्म खूब फुले फले, देश हिन्दू राष्ट्र बने इसके लिए यह तपस्या कर रहे है। इनका कहना हैं कि इनके आत्मविश्वास और तपस्या का परिणाम है इन्हें बिना कपड़े के रहना, ठंड और अन्य कठिनाइयों का कोई असर उनके हठयोग पर नहीं पड़ता है। इस हठयोग का मुख्य उद्देश्य शरीर और आत्मा को एकात्म कर लेना है।

इनका लक्ष्य 151 घड़ों के पानी तक स्नान करना है। उन्होंने बताया कि भगवान भोले उनके इष्ट देव है जिनकी वो पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान गणेश विद्या का रूप है। जब साक्षात ईश्वर उनके साथ हैं तो किसी भी हठ योग को वो कर सकते हैं। यह भीषड़ गर्मी में राजस्थान में रेत के बीच धुनी तप करते हैं। यह कई तरह की हठ योग करते रहते हैं।

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Maha Kumbh 2025
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