Mahakumbh 2025: कुंभ के बाद इस रहस्यलोक में लीन हो जाते हैं नागा साधु! जानें इनसे जुड़े अनकहे किस्से
Mahakumbh 2025 (दीपक द्विवेदी, प्रयागराज): सनातन धर्म के लोगों की महाकुंभ से खास आस्था जुड़ी है। करीब 13 साल बाद इस बार प्रयागराज संगम नगरी में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है। महाकुंभ में हर बार बड़ी संख्या में साधु संत और नागा साधु आते हैं। नागा साधु की जीवन शैली, रहन-सहन और पहनावा आदि देश ही नहीं दुनिया में खूब चर्चा बटोरता है। ये कहां से आते हैं कुंभ के बाद कहां गायब हो जाते हैं, ये सवाल प्रत्येक व्यक्ति के मन में आता है। चलिए जानते हैं महाकुंभ मेले में आने वाले नागा साधु के जीवन से जुड़े अनकहे किस्सों के बारे में।
शरीर पर लगाते हैं श्मशान की भभूत
नागा बाबा हरीश गिरी ने न्यूज24 से खास बातचीत की है। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि, उनकी उम्र 65 वर्ष है। वो हरिद्वार में रहते हैं। उन्होंने अपने पूरे शरीर पर श्मशान की भभूत लगा रही है। 12 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपना घर-परिवार त्याग दिया था।'
इसी के आगे उन्होंने कहा, 'वो भगवान शिव को अपना इष्टदेव मानते हैं और शिव जी द्वारा धारण की गई श्मशान की राख को प्रसाद स्वरूप अपने शरीर पर लेप के रूप में लगाते हैं। उनका कहना है कि इस भभूत में ईश्वर की वो शक्ति है, जिससे उन्हें न ही ठंड का अहसास होता है और न ही गर्मी लगती है। ये एक प्रकार से उनका सुरक्षा कवच है।'
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कुंभ के बाद कहां गायब हो जाते हैं नागा साधु?
हरीश गिरी नागा बाबा ने आगे बताया कि, 'हमे यानी नागा साधु को पूरा विश्व कुंभ के आगमन और स्नान के दौरान ही देखता है। ऐसे में उनके मन में ये सवाल आता होगा कि कुंभ के बाद हम कहां चले जाते हैं?' इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'हम उत्तराखंड, हिमाचल या किसी गंगा घाट के समीप जंगलों में चले जाते हैं। जहां जो कुछ मिल जाता है, उसका सेवन करके अपना गुजारा करते हैं। घास, फूल और फल भी हमारे लिए लाभप्रद है, क्योंकि हम शिव जी की आराधना में वैराग्य जीवन जीने के लिए बने हैं और ये ही हमारी सम्पूर्ण जिंदगी है।'
इसी के आगे उन्होंने कहा, 'इस बार भी कुंभ में बड़ी संख्या में नागा साधु आपको अलग-अलग टोलियों में अपना करतब दिखाए नजर आएंगे, जिन्होंने श्रृंगार के साथ-साथ अपने शरीर पर श्मशान की राख लपेटे रखी होगी।'
नागा बाबा के अस्त्र-शस्त्र क्या हैं?
बता दें कि नागा बाबा अपने पास हमेशा तलवार, भाला, बरछी, फरसा, ढाल, चाकू, गदा, तीर-कमान, चक्र और त्रिशूल रखते हैं, जो उनके अस्त्र-शस्त्र हैं। ये किसी न किसी देवता या देवी के शस्त्र हैं, जिन्हें बाबा अपने सिद्धि मंत्रों व जाप के जरिए शक्तिशाली बनाते हैं।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।