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सफेद कपड़े से लेकर नदी-तालाब सब हो जाते हैं लाल, उन 3 दिनों में आखिर क्या होता है इस मंदिर के अंदर?

Kamakhya Devi Temple: असम के गुवाहाटी में दिसपुर से लगभग दस किमी दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित कामाख्या मंदिर का रहस्य आज भी इतिहास के पन्नों में गुम है। चलिए विस्तार से जानते हैं इस मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में।
05:59 PM Jun 22, 2024 IST | Nidhi Jain
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Kamakhya Devi Temple: पूर्वोत्तर भारत के राज्य असम में स्थित कामाख्या मंदिर को 52 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे, तो उसके बाद भगवान शिव मां के पार्थिव शरीर को लेकर धरती पर यहां-वहां भटक रहे थे, तब विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से मां के शरीर को 108 भागों में विच्छेद कर दिया था। कहा जाता है कि जहां देवी सती की योनि गिरी थी। इसलिए यहां पर माता सती की योनि की विधि-विधान से आराधना की जाती है। इसके अलावा यहां पर मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए जानवरों की बलि भी दी जाती है।

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तंत्र विद्या के लिए भी है प्रसिद्ध

कामाख्या मंदिर तांत्रिक और अघोरियों के बीच तंत्र विद्या के लिए भी प्रसिद्ध है। जहां देश के कोने-कोने से साधु-संत साधना करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां पर ध्यान लगाने व पूजा-पाठ करने से तांत्रिक शक्तियों को प्राप्त किया जाता है। इसके अलावा यहां पर मौजूद साधु-संत काला-जादू और टोना-टोटका से ग्रस्त लोगों को भी ठीक करते हैं।

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इस वजह से बंद किए जाते हैं मंदिर के कपाट

हर साल 22 जून से 25 जून तक तीन दिन के लिए कामाख्या मंदिर के कपाट भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। यहां तक कि मंदिर में जाने की अनुमति वहां के पुजारियों को भी नहीं होती है। कहा जाता है कि इन तीन दिनों के दौरान माता सती मासिक धर्म से होती हैं, जिसके प्रभाव से मंदिर के आसपास मौजूद नदियों व तालाब का पानी लाल हो जाता है।

इसके अलावा कपाट बंद करने से पहले मंदिर में सफेद रंग का एक कपड़ा रखा जाता है, जब तीन दिन बाद मंदिर के गेट खोले जाते हैं, तो वो कपड़ा लाल रंग का हो जाता है। इस लाल कपड़े को ‘अंबुबाची वस्त्र’ (Ambubachi Vastra) नाम से भी जाना जाता है। हालांकि बाद में इस कपड़े को छोटे-छोटे टुकड़ों में कर भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

अंबुवाची मेले का भी किया जाता है आयोजन

साल में एक बार यहां पर जब मां मासिक धर्म में होती हैं, तो उस दौरान विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे अंबुवाची मेले के नाम से जाना जाता है। इस मेले में शामिल होने के लिए हर साल बड़ी संख्या में भक्तजन यहां आते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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