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दुन‍िया का इकलौता शक्‍त‍िपीठ जो पानी के बीच में है मौजूद, यहां ग‍िरी थी मां सती की पायल

Nainativu Nagapooshani Amman Kovil Temple: मां सती को समर्पित दुनियाभर में विभिन्न मंदिर मौजूद हैं। आज हम आपको देवी को समर्पित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पानी के बीचों बीच एक छोटे से आइसलैंड पर मौजूद है।
06:00 AM Jul 26, 2024 IST | Nidhi Jain
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Nainativu Nagapooshani Amman Kovil Temple: दुनियाभर में मौजूद प्रत्येक मंदिर का अपना अलग महत्व और मान्यता होती है, जिसके कारण लोगों के बीच उस मंदिर की आस्था और प्रबल हो जाती है। विश्व में 50 से ज्यादा शक्तिपीठ हैं, जिनका अपना अलग महत्व है। भारत के अलावा श्रीलंका में भी एक शक्तिपीठ मौजूद है, जिसका संबंध भगवान शिव और मां पार्वती के साथ-साथ राम जी, माता सीता और रावण से भी है। इसके अलावा इस मंदिर  की एक और खास बात ये है कि ये पानी के बीचों बीच आइसलैंड पर मौजूद है, जहां सालभर बड़ी संख्या में साधक दर्शन करने के लिए आते हैं। चलिए जानते हैं इसी मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में।

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मां सती को समर्पित है नागपोशनी मंदिर

श्रीलंका के नैनातिवु द्वीप पर पाक जलडमरूमध्य के बीच नैनातिवु नागापोशनी अम्मन मंदिर स्थित है, जिसे 52 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है। नैनातिवु नागापोशनी अम्मन मंदिर मां सती को समर्पित है। इस मंदिर को श्रीलंका के निवासियों के बीच नागपोशनी या भुवनेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

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नाव से रास्ता करना होता है पार 

यदि आप नैनातिवु नागापोशनी अम्मन मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको नाव के जरिए नैनातिवु द्वीप जाना होगा। नागपोषानी अम्मन मंदिर में देवी सती के अलावा शिव जी, राम जी, मां सीता, गणेश जी, कार्तिकेय जी और सूर्य देव की भी मूर्तियां स्थापित हैं। हालांकि मंदिर के गर्भगृह में देवी-देवताओं की विशाल मूल मूर्ति स्थापित है।

मंदिर की दीवारों पर पारंपरिक वास्तुकला की गई है, जो देखने में अद्भुत लगती है। इसके अलावा मंदिर के प्रवेश द्वार को विभिन्न चित्रों, मूर्तियों और तेल के दीपों से सजाया गया है।

त्रेता युग से है गहरा रिश्ता

धार्मिक मान्यता के अनुसार, नैनातिवु द्वीप पर मां सती की पायल गिरी थी, जिसके बाद इसको एक शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाने लगा। माना जाता है कि त्रेता युग में रावण यहां पर पूजा किया करते थे। इसके अलावा इस शक्तिपीठ को लेकर एक और मान्यता बेहद प्रचलित है कि यहां पर भगवान राम ने भी पूजा की थी, जिसके बाद ही उन्हें लंका पर विजय प्राप्त हुई थी।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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