होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Navratri Special Story: मां काली कैसे बनीं महाकाली? जानिए माता काली के इस रूप से जुड़ी सम्पूर्ण कथा

Navratri Special Story: माता काली को शक्ति की देवी माना जाता है। हिन्दू धर्म में तंत्र साधना के लिए भी माता काली की पूजा की जाती है। माता काली को देवी दुर्गा का ही रूप माना जाता है। चलिए जानते हैं कि मां काली को महाकाली भी क्यों कहा जाता है?
06:45 PM Oct 06, 2024 IST | Nishit Mishra
Advertisement

Navratri Special Story: नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा को माता पार्वती का ही रूप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि क्रोध के कारण माता काली उतपन्न हुई थीं। इसी कारण उनके शरीर का रंग काला है। चलिए जानते हैं मां काली कैसे बनीं महाकाली?

Advertisement

पौराणिक कथा

पौराणिक काल में रक्तबीज नाम का एक असुर हुआ करता था। वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। उसने भगवान शिव की घोर तपस्या करके वरदान पाया था। उसे वरदान मिला था कि उसके रक्त की जितनी बूंदें धरती पर गिरेंगी, उतने ही बलशाली असुर उत्पन्न हो जाएंगे। भगवान शिव से वरदान मिलने के बाद वह ऋषि-मुनियों पर अत्याचार करने लगा। फिर ऋषि-मुनियों ने देवताओं से रक्षा करने की विनती की।

रक्तबीज और देवताओं का युद्ध

ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए देवताओं ने रक्तबीज को युद्ध के लिए ललकारा। रक्तबीज भी युद्ध करने आ पहुंचा। युद्ध में रक्तबीज के शरीर से खून की गिरने वाली सभी बूंदें रक्तबीज के जैसे ही बलशाली असुर बन जाते। काफी समय तक युद्ध करने के बाद भी देवतागण उसे युद्ध में मार नहीं पाए। अंत में देवताओं को रक्तबीज ने हरा दिया और देवलोक को अपने अधिकार में कर लिया। इसके बाद सभी देवता शिवजी के पास पहुंचे। सभी ने भगवान शिव से रक्षा करने की प्रार्थना की।

माता काली की उत्पत्ति

उस समय देवी पार्वती भी शिव जी के साथ ही मौजूद थी। देवताओं की बातें सुनकर वह क्रोध से लाल हो गईं। तब उनके शरीर से माता काली की उत्पत्ति हुई। फिर देवी काली रक्तबीज से युद्ध करने निकल पड़ीं। युद्ध के मैदान में देवी काली ने अपने जीभ को काफी बड़ा कर लिया। उसके बाद रक्तबीज के शरीर से जो भी रक्त की बूंदें गिरती, माता काली उस से उत्पन्न होने वाले असुरों को निगल जाती। इस तरह जब रक्तबीज का शरीर रक्त विहीन हो गया तो माता काली ने उसका भी अंत कर दिया।

Advertisement

महाकाली बनीं मां काली

रक्तबीज के वध के बाद भी मां काली का क्रोध शांत नहीं हो रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वह तीनों लोकों को निगल जाएंगी। देवी के रूप को देखकर सारे देवता इधर-उधर भागने लगे। तब भगवान शिव उनके रास्ते में लेट गए। क्रोध में ही देवी काली ने भगवान शिव की छाती पर अपना पैर रख दिया। इसके बाद देवी काली का क्रोध शांत हुआ।

कालिका पुराण की कथा

वहीं कालिका पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार हिमालय पर स्थित मतंग मुनि के आश्रम सभी देवता पहुंचे। उसके बाद मतंग मुनि ने यज्ञ आरंभ किया। फिर सभी देवता महामाया देवी की स्तुति करने लगे। काफी समय तक स्तुति करने के बाद, माता महामाया देवताओं के सामने प्रकट हुई। माता ने देवताओं से पूछा कि तुम सभी किस की स्तुति कर रहे हो? उसी समय देवी महामाया के शरीर से एक काली रंग की दिव्य स्त्री प्रकट हुई। उस दिव्य स्त्री ने देवी महामाया से कहा ये सभी मेरी ही स्तुति कर रहे हैं। वही देवी महाकाली के नाम से जानी जाती हैं।

ये भी पढ़ें- Navratri 2024 Special Story: महिषासुर का अंत करने के लिए कैसे हुई माता दुर्गा की उत्पत्ति?

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है

Open in App
Advertisement
Tags :
mata kali ki kathaNavratri 2024shardiy navratri 2024
Advertisement
Advertisement