पेट्रोल पंप वाले, पापड़ वाले, चिट्ठी वाले और काले हनुमानजी... आपने देखें हैं ये 7 प्रसिद्ध हनुमान मंदिर
Hanuman Temples: उल्टे हनुमानजी, लेटे हनुमानजी, बाल हनुमानजी, उड़ते हनुमानजी... रामभक्त बजरंगबली के ये सभी नाम आपने जरूर सुने होंगे। यदि आप जयपुर के नहीं हैं, तो पेट्रोल पंप वाले, चिट्ठी वाले और काले हनुमानजी, पापड़ वाले हनुमान जी जैसे ये नाम आपके लिए जरूर नए और थोड़े अजीब होंगे। जी हां, पिंक सिटी यानी गुलाबी नगरी जयपुर में हनुमानजी के जितने मंदिर हैं, उनमें से अधिकांश के नाम इसी तरह से रखे गए हैं।
पेट्रोल पंप वाले हनुमान जी
जयपुर में अजमेर पुलिया के पास एक पेट्रोल पंप है, लेकिन लोग यहां गाड़ियों के लिए डीजल-पेट्रोल के लिए कम लेकिन हनुमानजी की पूजा के लिए अधिक रुकते हैं। दरअसल इस पेट्रोल पंप के पास हनुमानजी का 70 साल पुराना एक छोटा-सा हनुमान मंदिर है, जिसमें लोगों की असीम आस्था है। हर हफ्ते मंगलवार और शनिवार को यहां इतनी गाड़ियां और लोग आते हैं कि घंटों तक जाम लगा रहता है।
चिट्ठी वाले हनुमान जी
जयपुर के चिट्ठी वाले हनुमान जी के मंदिर में लोग अपनी मनोकामनाएं बोलकर नहीं बल्कि लिखकर देते हैं। इसे चिट्ठी कहा जाता है। यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है। लोगों की आस्था है कि हनुमानजी उन चिट्ठियों को पढ़ते हैं और उचित मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं। यही कारण है कि यह मंदिर चिट्ठी वाले हनुमान जी के नाम प्रसिद्ध हो गया है। बता दें, चिट्ठी वाले हनुमान जी के नाम एक मंदिर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी है।
पापड़ वाले हनुमान जी
जयपुर के विद्याधर नगर में हनुमानजी का एक ऐसा मंदिर जो अपनी एक अनूठी परंपरा के लिए जाना जाता है। दरअसल यहां भक्तजन हनुमान जी को पापड़ का भोग लगाते हैं। केवल यही नहीं, अरावली पहाड़ियों में स्थित इस मंदिर में तीज-त्यौहार के मौके पर हनुमानजी के मूर्ति को भी पापड़ से ही सजाया जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित पापड़ वाले हनुमान जी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी।
काले हनुमान जी
जयपुर में ही हनुमान जी का एक और अनोखा मंदिर है, जिसे काले हनुमान जी के नाम से जाना जाता है। जयपुर के हवामहल के पास स्थित इस मंदिर को जयपुर शहर की स्थापना के समय ही बनाया गया था। यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान हनुमान की प्रतिमा काले रंग की है, जो इसकी प्रसिद्धि का प्रमुख कारण है।
खोले के हनुमान जी
जयपुर स्थित खोले के हनुमानजी मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है। जयपुर-दिल्ली बाईपास पर पहाड़ों की खोल में स्थित होने के कारण इस मंदिर को खोले के हनुमान जी कहते हैं। बताया जाता है कि अब से कोई 300 साल पहले एक संत निर्मलदास जी ने यहां चट्टान पर हनुमान जी का चित्र उकेरा था, जो बाद में एक हनुमान धाम बन गया। संत निर्मलदास जी ने जो चित्र बनाया था, उसमें हनुमान जी संजीवनी बूटी वाले पहाड़ को उठाए हुए हैं।
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परकोटे वाले हनुमान जी
जयपुर शहर के संस्थापक राजा जयसिंह द्वितीय ने शहर को एक परकोटे यानी चहारदीवारी से घेर दिया था। जिसमें चार दरवाजे हैं। इन चारों निकास द्वार भगवान हनुमान की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जिसे परकोटे वाले हनुमान जी कहा जाता है। लेकिन, गलतफहमी न हो इसलिए जिस दिशा में जो दरवाजा है, उसे उस दिशा के नाम वाले मंदिर से पुकारा जाता है, जैसे उत्तर परकोटा मंदिर, पश्चिम दरवाजा मंदिर आदि। बता दें, राजस्थान की राजधानी जयपुर ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और पर्यटन की दृष्टि से देश क महत्वपूर्ण शहर है। इसकी स्थापना महाराजा जय सिंह द्वितीय ने 1727 की थी।
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लेटे हुए हनुमानजी
लेटे हुए हनुमानजी का मंदिर जयपुर में नहीं बल्कि राजस्थान के ही अलवर जिले के सरिस्का में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास महाभारत कथा से जुड़ा है। भीम को शारीरिक शक्ति पर बहुत घमंड था। यहां पर भीम को एक बूढ़े बंदर के वेश में हनुमानजी मिले थे। उनकी पूंछ रास्ते पर पड़ी थी, जिसे भीम पूरी ताकत लगाकर भी हटा नहीं पाए थे। जब भीम का घमंड चूर-चूर हो गया, तब हनुमानजी ने उनको दर्शन दिया था।