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Pitru Paksha 2024: किस जगह और समय श्राद्ध करना है शुभ? जानें पितृ पक्ष की पूजा से जुड़े नियम

Pitru Paksha 2024: श्राद्ध के दौरान पितरों और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किया जाता है। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने कुल पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं। चलिए अब जानते हैं श्राद्ध की पूजा का सही स्थान और समय क्या है।
12:40 PM Sep 17, 2024 IST | Nidhi Jain
जानें श्राद्ध पूजा के जरूरी नियम...
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Pitru Paksha 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए पितृ पक्ष के 16 दिनों का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष यानी श्राद्ध की पूजा भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक की जाती है। श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। पितरों और पूर्वजों के प्रसन्न होने से ही कुल आगे बढ़ता है, नहीं को परिवार के हर सदस्य को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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इस साल पितृ पक्ष का आरंभ 17 सितंबर दिन मंगलवार से हो गया है, जिसका समापन 18 सितंबर 2024 को होगा। इन 16 दिनों के दौरान कई नियमों का पालन करना जरूरी होता है, नहीं तो पूजा विफल हो जाती है। यहां तक कि श्राद्ध पूजा की जगह और समय भी निर्धारित है। अशुभ जगह और गलत समय में श्राद्ध का शुभ कार्य करने से पितर व पूर्वज क्रोधित हो जाते हैं। इसी वजह से आज हम आपको शास्त्रों में बताई गई उन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर श्राद्ध पूजा की जा सकती है। इसी के साथ आपको श्राद्ध पूजा का सही समय भी पता चलेगा।

श्राद्ध कहां करना चाहिए?

शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध की पूजा अपने घर में करनी सबसे ज्यादा शुभ होती है। घर के अलावा किसी पवित्र नदी व समुद्र के तट, बरगद के पेड़ के नीचे, धार्मिक स्थल और पवित्र पर्वत के शिखर पर भी श्राद्ध कार्य किया जा सकता है। इसके अलावा गौशाला में भी श्राद्ध पूजा करने की मनाही नहीं होती है, लेकिन गौशाला में बैल नहीं होने चाहिए।

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पूजा कहां नहीं करनी चाहिए?

श्राद्ध की पूजा अपनी ही भूमि पर करनी चाहिए। किराए के मकान या स्थान पर श्राद्ध का कार्य नहीं करना चाहिए। यदि किसी वजह से दूसरे की भूमि पर आप श्राद्ध पूजा कर रहे हैं, तो ऐसे में उन्हें उसका किराया जरूर दें। नहीं तो उनके पितर व पूर्वज आपके काम में बाधा डालने का प्रयास कर सकते हैं।

किसी भी मंदिर में श्राद्ध की पूजा की जा सकता है। लेकिन मंदिर में मौजूद देव स्थान पर श्राद्ध पूजा को करना वर्जित होता है। इससे आपकी पूजा खंडित हो सकती है। इसके अलावा अपवित्र भूमि और श्मशान घाट के आसपास भी श्राद्ध पूजा का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

किस समय श्राद्ध पूजा करें?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्राद्ध का कार्य दोपहर के समय में करना चाहिए। पितरों और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध करने का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 30 मिनट तक होता है। इस दौरान अपनी सुविधा अनुसार आप पूजा कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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