Indira Ekadashi 2024: क्यों जरूरी है पितृपक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का व्रत रखना? धर्म विशेषज्ञ नम्रता पुरोहित से जानें महत्व
Indira Ekadashi 2024: सालभर में 24 बार एकादशी का व्रत रखा जाता है। प्रत्येक एकादशी का अपना महत्व और मान्यता है। सितंबर माह में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाएगा। 14 सितंबर 2024 को परिवर्तिनी एकादशी का पर्व मनाया जा चुका है, जिसके बाद 28 सितंबर 2024 को भगवान विष्णु को समर्पित इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
इंदिरा एकादशी का व्रत आश्विन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है, जो इस बार पितृपक्ष के दौरान पड़ रही है। ऐसे में इस दिन का महत्व अपने आप में और बढ़ गया है। चलिए धर्म विशेषज्ञ नम्रता पुरोहित से जानते हैं इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में।
इंदिरा एकादशी का महत्व
पितृपक्ष के दौरान इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है, जिसके कारण इसका संबंध पितरों व पूर्वजों से जुड़ जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन पितरों व पूर्वजों के नाम पर दान करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है, जिसके कारण उन्हें यमलोक की यातनाएं नहीं सहनी पड़ती हैं।
मान्यता है कि इस दिन जो लोग व्रत रखते हैं, उन्हें वैकुण्ठ में जगह मिलती है। बता दें कि इंदिरा एकादशी को रोग और सभी पापों का नाश करने वाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पहले पितरों का श्राद्ध जरूर करना चाहिए।
ये भी पढ़ें- Numerology: अक्टूबर में जन्में लोगों के लिए कैसा रहेगा महीना? डेट ऑफ बर्थ से जानें अपना भविष्य
इंदिरा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस बार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत शनिवार 27 सितंबर को दोपहर 01:20 मिनट से हो रही है, जिसका समापन 28 सितंबर को दोपहर 02:49 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर इंदिरा एकादशी का व्रत 28 सितंबर 2024 को रखा जाएगा, लेकिन व्रत का पारण अगले दिन 29 सितंबर 2024 को करना शुभ रहेगा। 28 सितंबर 2024 को पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:47 मिनट से लेकर 12:35 मिनट तक है।
इंदिरा एकादशी की पूजा विधि
- व्रत के दिन जल्दी उठें।
- स्नान आदि कार्य करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
- घर के मंदिर में एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं। उस पर श्रीहरि और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- देवी-देवताओं को वस्त्र, फल, फूल, अक्षत और मिठाई अर्पित करें। इस दौरान विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें।
- इंदिरा एकादशी व्रत की कथा का पाठ करें।
- अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करके पूजा का समापन करें।
ये भी पढ़ें- Shani Gochar 2024: शनि की तिरछी नजर इन 3 राशियों के लिए रहेगी शुभ, दिन-दूनी रात चौगुनी करेंगे प्रगति!
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।