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Shiva Mantra: महाशिवरात्रि पर करें इन 7 शक्तिशाली शिव मंत्र का जाप, बनने लगेंगे हर काम!

Shiva Mantra: महाशिवरात्रि का त्योहार भगवान शिव की आराधना, साधना और पूजा करने का सबसे बड़ा त्योहार है। इस दिन जो भक्त उनको सच्चे और अच्छे मन से पुकारता है, तो वे पुकार जरूर सुनते हैं। आइए जानते हैं 7 शक्तिशाली शिव मंत्र, जिनके जाप से हर काम बनने लगते हैं।
09:27 PM Feb 09, 2025 IST | Shyam Nandan
shiva mantra  महाशिवरात्रि पर करें इन 7 शक्तिशाली शिव मंत्र का जाप  बनने लगेंगे हर काम

Shiva Mantra: महाशिवरात्रि का त्योहार हिन्दू धर्म के सर्वाधिक पवित्र और महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है, जो महादेव शिव को समर्पित है। पुराणों, वेदों और हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान शिव के महात्म्य का जो वर्णन मिलता है, उससे स्पष्ट होता है कि भगवान शिव अपने सच्चे और अच्छे भक्तों की पुकार जरूर सुनते हैं। यूं तो देवाधिदेव शंकर की आराधना के लिए हर दिन शुभ होता है, लेकिन सोमवार, सावन, मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत और महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। साल 2025 में महाशिवरात्रि व्रत 26 फरवरी 2025 को रखा जाएगा।

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शक्तिशाली शिव मंत्र

महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान शिव की पूजा और अभिषेक विशेष फलदायी होता है। मिट्टी के लोटे से गंगाजल, शुद्ध जल या दूध द्वारा शिवलिंग का अभिषेक करने से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं। अभिषेक के बाद शिवलिंग पर बेल पत्र, आक और धतूरा के फूल, भांग की पत्तियां और अन्य पवित्र सामग्रियां अर्पित करनी चाहिए। इसके बाद शिव मंत्रों का विधिपूर्वक जाप कर भगवान शिव का हृदय, मन और आत्मा से समर्पण भाव से स्मरण करना चाहिए। कहा जाता है कि सही विधि से किए गए शिव मंत्रों के जाप से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और रुके हुए कार्य तेजी से सिद्ध होने लगते हैं।

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सबसे आसान शक्तिशाली शिव मंत्र

ॐ नमः शिवाय
Aum Namah Shivya

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यह षडाक्षरी महामंत्र है, जो मन को शांति, सुख और आत्मिक शक्ति प्रदान करता है। इसका अर्थ है- मैं भगवान शिव को नमन करता हूं। इसके जाप से सभी कष्ट दूर होते हैं और शिव कृपा प्राप्त होती है। सोमवार, सावन, मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत और महाशिवरात्रि के शुभ और पावन मौके पर इसका 108 बार इस मंत्र का जाप करना शुभ फल देता है।

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
Aum Tryambakam Yajaamahe Sugandhim Pushtivardhanam.
Urvaarukamiva Bandhanaan-mrityormuksheeya Maamritaat.

भगवान शिव को समर्पित यह मंत्र यह अकाल मृत्यु, रोग, भय और दुर्घटनाओं से बचाने वाला सबसे शक्तिशाली मंत्र है। इसका अर्थ है- हम तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की उपासना करते हैं, जो सुगंध से भरे हुए हैं और संपूर्ण जगत को पोषण प्रदान करते हैं। हे महादेव! हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त करें और अमृत के समान जीवन प्रदान करें। किसी बीमार व्यक्ति के लिए इस मंत्र का 51, 108 या 1008 बार जाप करना विशेष लाभकारी होता है।

शिव गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
Om Tatpurushaya Vidmahe Mahadevaya Dhimahi.
Tanno Rudrah Prachodayat.

इस मंत्र का जाप ज्ञान, आध्यात्मिक उन्नति और आंतरिक शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसे कम से कम 21 या 108 बार जाप करने से ध्यान और साधना में गहराई आती है। इसका अर्थ है- हम परम पुरुष शिव को जानते हैं और उनका ध्यान करते हैं। वे हमें सत्य के मार्ग पर प्रेरित करें।

रुद्र मंत्र

ॐ नमो भगवते रुद्राय
Aum Namo Bhagavate Rudraay.

यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा, भय और शत्रु बाधाओं को दूर करता है। इसका अर्थ है- मैं भगवान रुद्र अर्थात शिव को नमस्कार करता हूं। कार्यों में सफलता और बाधाओं से मुक्ति के लिए इस मंत्र का जाप 1008 बार करना चाहिए।

शिव शक्ति मंत्र

ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
Aum Hreem Hraum Namah Shivay.

यह एक बीज मंत्र है, जो शिव और शक्ति का आह्वान करता है। इस मंत्र का जाप करने से जल्द ही संपत्ति, सौभाग्य और सफलता प्राप्त होती है। 21 या 108 बार प्रतिदिन जाप करने से कार्यों में शीघ्र सफलता मिलती है, बिगड़े काम भी बन जाते हैं।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय॥
Nagendrahaaraay Trilochanaay Bhasmaangaraagaay Maheshwaraay.
Nityaay Shuddhaay Digambaraay Tasmai Nakaraay Namah Shivay.

यह शिव तत्त्व के ध्यान और भक्ति के लिए अत्यधिक प्रभावी है, इसके जाप से भय, रोग और तनाव दूर होते हैं। इसका भावार्थ है- सर्पों की माला पहनने वाले, तीन नेत्रों वाले, भस्म रमाने वाले, शुद्ध, नित्य और दिगंबर स्वरूप शिव को प्रणाम है।

अर्धनारीश्वर मंत्र

कस्तूरिका कुंकुम चर्चितायै, चितारजः पुंज विचर्चिताय।
कृतस्मारायै विकृतस्मराय, नमः शिवायै च नमः शिवाय॥
Kasturika Kumkum Charcharchitaayai, Chitarajah Punj Vicharchitaay.
Kritasmarayai Viritsamarai, Namah Shivaayai Cha Namah Shivaay.

इस मंत्र का अर्थ है- पार्वती जी के शरीर पर कस्तूरी और कुंकुम का दिव्य लेप सुशोभित है, जबकि भगवान शंकर के अंगों पर चिता-भस्म का श्रृंगार है। देवी पार्वती कामदेव को पुनर्जीवित करने वाली हैं, वहीं भगवान शंकर उसे भस्म करने वाले हैं। ऐसी विपरीत स्वभाव होते हुए भी एक-दूसरे के पूरक शिव और पार्वती को मेरा साष्टांग प्रणाम है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को प्रेम, विवाह और परिवार में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि पर इस मंत्र का

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष  शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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