मई में कब है प्रदोष व्रत, जानें शुभ तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
Pradosh Vrat 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का महत्व बहुत ही अधिक होता है। प्रदोष व्रत प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। बता दें कि मई में पहला प्रदोष व्रत 5 मई को रखा जाएगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा विधि-विधान और विशेष रूप से की जाती है। मान्यता है कि जो महिलाएं प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा सच्चे मन से करती हैं उन्हें अखंड सौभाग्यवती का वरदान, संतान का वरदान मिलाता है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि मई माह में पहला प्रदोष कब है, शुभ मुहूर्त क्या है और पूजा विधि क्या है।
प्रदोष व्रत की शुभ तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से शुरू होता है और समाप्ति चतुर्दशी के दिन होता है। पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 5 मई दिन रविवार को शाम 5 बजकर 42 मिनट पर हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 6 मई दिन सोमवार को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा शाम में की जाती है। इसलिए प्रदोष व्रत 5 मई को रखा जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने का शुभ समय शाम 6 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा और समापन रात्रि के 9 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। ऐसे में भगवान शिव की पूजा-अर्चना विशेष रूप से की जाएगी।
पूजा विधि
प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान -ध्यान करके साफ-सुथरे वस्त्र पहने। उसके बाद घर के पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करें। साथ ही पूजा के लिए चौकी लाए और उस पर शिवलिंग को स्थापित करें। उसके बाद शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा करें। गंगाजल, शहद, दूध और दही से अभिषेक करें। अभिषेक करने के बाद बेलपत्र, अक्षत और शमी के पत्ते आदि अर्पित करें। अंत में भगवान शिव की आरती करें और क्षमा-याचना करें।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।