Janmashtami 2024: कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत भी बना सकता है पाप का भागी, प्रेमानंद महाराज से जानें नियम

Janmashtami 2024: प्रसिद्ध कथावाचक प्रेमानंद महाराज देवी राधा के परम भक्त हैं। बाबा अपने प्रवचन के माध्यम से लोगों को सनातन धर्म से जुड़ी मुख्य बातों के बारे में बताते हैं। महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत से जुड़ी अहम बातों के बारे में भी बताया है, जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

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Janmashtami 2024: हर साल देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस खास दिन लोग भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाते हैं। मान्यता के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत रखने और इस दिन पूजा-पाठ करने से साधक को कृष्ण जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। लड्डू गोपाल के आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख-शांति, समृद्धि, खुशहाली और रिश्तों में मिठास बनी रहती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 26 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन कृष्ण जी पूजा का शुभ मुहूर्त रात में 12 बजकर 01 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक है।

जन्माष्टमी का व्रत रखते समय साधक को विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। नहीं तो उनका व्रत और पूजा दोनों खंडित हो सकती हैं। चलिए श्री कृष्ण की सखी राधा रानी के परम भक्त प्रेमानंद महाराज से जानते हैं कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत से जुड़े नियमों के बारे में।

जन्माष्टमी व्रत के दिन इन बातों का रखें ध्यान

प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को जन्माष्टमी का पर्व मनाना चाहिए। चाहे आप व्रत रख रहे हैं या नहीं, पर इस दिन सच्चे मन से भगवान कृष्ण की पूजा जरूर करनी चाहिए। पूजा करने के बाद कृष्ण जी का श्रृंगार करें। फूलों और आभूषण से उन्हें सजाएं। दिनभर भगवान के नाम का जाप करें। जन्माष्टमी के खास मौके पर श्री कृष्ण के जन्म अवतार की लीलाओं की कथा सुनें। साथ ही घर में कीर्तन करें।

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नाम जाप का भी है विशेष महत्व

प्रेमानंद महाराज का मानना है कि केवल व्रत रखने से पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है, बल्कि भगवान के नाम का जाप करना भी जरूरी है। देवी-देवताओं के नाम में अद्भुत शक्ति होती है, जिससे साधक को अपने पापों से भी मुक्ति मिल सकती है। इसके अलावा मानसिक शांति भी मिलती है। महाराज के मुताबिक, यदि व्यक्ति ऐसा नहीं करता है, तो उसे अपनी पूजा पूर्ण फल नहीं मिलता है।

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, द्वापरयुग में भगवान विष्णु ने कृष्ण जी के रूप में धरती पर जन्म लिया था। उन्होंने इस युग में भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन केवल इसलिए जन्म लिया था, ताकि वो पृथ्वी पर अधर्म का नाश करके धर्म की स्थापना कर सकें। उन्होंने कंस जैसे कई असुरों का वध किया था और समाज में भक्ति और प्रेम की स्थापना की थी।

इन चीजों का भोग लगाना है जरूरी

  • मक्खन या माखन-मिश्री

श्रीकृष्ण को मक्खन और माखन-मिश्री बेहद प्रिय है। खासतौर पर कृष्ण जन्माष्टमी के दिन गाय के दूध से बने मक्खन का भोग लगाना शुभ माना जाता है।

  • मालपुआ

भगवान कृष्ण को जन्माष्टमी के दिन मालपुआ का भोग लगाने की सदियों पुरानी परंपरा है। मान्याता है कि भगवान कृष्ण को चावल से बनाए गए मालपुए का भोग लगाने से साधक को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

  • पंजीरी

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को पंजीरी का भोग लगाना शुभ होता है।

  • श्रीखंड

जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण को दही से बना श्रीखंड का भी भोग लगाया जा सकता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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