Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में दिखा रबड़ी बाबा का जलवा; भक्तों का किया संगम में अनोखा स्वागत
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में केवल कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में प्रयागराज में लगातार लोगों की भीड़ बढ़ रही है। पवित्र संगम में डुबकी लगाने के लिए लोग देश के कोने-कोने से आ रहे हैं। इसके साथ ही अनोखी प्रतिभाओं वाले साधु-संत भी कुंभ का हिस्सा बन रहे हैं। इस बार कुंभ में छोटू और चाभी वाले बाबा से लेकर बवंडर और स्प्लेंडर बाबा तक, कई संत लोगों के आकर्षण का केंद्र बने है। इसी सिलसिले में प्रयागराज में रबड़ी बाबा फिलहाल काफी चर्चा में हैं। श्री महंत देवगिरि (श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी) के नाम से भी मशहूर रबड़ी बाबा अपनी खास सेवा से लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। आइए इसके बारे में जानते हैं।
भक्तों को परोसते हैं रबड़ी
बताया जा रहा है कि रबड़ी बाबा हर दिन सुबह 8:00 बजे से देर रात तक एक बड़ी कढ़ाई में दूध उबालकर मलाईदार रबड़ी तैयार करते हैं, जिसे भक्तों को परोसा जाता है। उनकी निस्वार्थ सेवा न केवल कुंभ में आकर्षण बन गई है, बल्कि भक्त भी इससे बहुत खुश नजर आ रहे हैं।
एएनआई से बात करते हुए रबड़ी बाबा ने बताया कि मैं 9 दिसंबर से ही कुंभ मेले में हूं, जिसकी शुरुआत अल्लापुर बागंबरी से हुई है और यह 6 फरवरी तक जारी रहेगा। हजारों लोग इस रबड़ी का स्वाद ले रहे हैं। सुबह 8:00 बजे कढ़ाई तैयार हो जाती है, लेकिन उससे पहले मैं स्नान, ध्यान और प्रार्थना के साथ अपनी दिनचर्या पूरी कर लेता हूं। मैं सुबह में अपनी पूजा करता हूं, ठीक वैसे ही जैसे आप करते हैं। यह प्रचार के लिए नहीं है, बल्कि आत्मा को परमात्मा से और परमात्मा को परम सिंहासन से जोड़ने के लिए है।
कोई पब्लिसिटी स्टंट नहीं
बाबा ने बताया कि 'रबड़ी' बनाने का विचार उन्हें 2019 में आया, जब उन्होंने डेढ़ महीने तक मिठाई परोसकर कई लोगों का दिल जीत लिया। इस तरह का अनुभव लेने के बाद उन्होंने लोगों की सेवा करना जारी रखा है। महंत का कहना है कि यह कोई पब्लिसिटी स्टंट नहीं है, बल्कि देवी महाकाली के आशीर्वाद से प्रेरित एक अच्छा काम है।
आगे बाबा ने कहा कि हजारों लोग इस रबड़ी का स्वाद ले रहे हैं। मुझे यह विचार 2019 में आया और लोगों के आशीर्वाद से मैं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी का श्री महंत बन गया। यह रबड़ी सबसे पहले कपिल मुनि, देवताओं को चढ़ाई जाती है और फिर लोगों में वितरित की जाती है... यह केवल लोगों की सेवा के लिए है, न कि प्रचार का हथकंडा।
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