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आज होगा सूर्यवंशी रामलला का सूर्य तिलक, 500 साल बाद बना ऐसा संयोग

Ram Ji Ka Surya Tilak: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को रामनवमी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। बता दें कि अयोध्या में रामनवमी को लेकर ढेर सारी तैयारियां चल रही हैं। आज रामनवमी पर रामलला को सूर्य तिलक से अभिषेक किया जाएगा। तो आइए सूर्य तिलक के बारे में जानते हैं।
02:13 PM Apr 08, 2024 IST | Raghvendra Tiwari
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Ram Ji Ka Surya Tilak: (दिव्या अग्रवाल) अयोध्या में रामनवमी को लेकर भव्य तैयारियां चल रही हैं। बता दें कि रामनवमी के दिन रामलला को दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणों से अभिषेक यानी सूर्य तिलक किया जाएगा। बताया जा रहा है कि सूर्य की किरणें करीब 4 मिनट तक रामलला के मुख मंडल को दीप्तिमान करेंगी। माना जा रहा है कि यह सूर्य तिलक 75 मिमी का होगा। बता दें कि रामनवमी को रामलला का सूर्य तिलक लगाने की तैयारी में रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च संस्थान के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। सूर्य तिलक के लिए वैज्ञानिक मंदिर में कई तरह के उपकरण भी लगा रहे हैं।

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रामनवमी के दिन होगा रामलला का सूर्य तिलक

बताया जा रहा है कि राम मंदिर निर्माण के दौरान ही यह प्रस्ताव रखा गया था कि रामनवमी के दिन दोपहर में सूर्य की किरणें सीधे रामलला की मूर्ति पर पड़े जैसे सूर्य की रोशनी से रामलला का अभिषेक हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राम मंदिर के भूतल पर दो मिरर और एक लेंस लगाया गया है। वैज्ञानिकों ने रामलला का सूर्य तिलक के लिए अनूठा सिस्टम तैयार किया है। सूर्य तिलक के लिए जो मिरर, लेंस और पीतल के बने सिस्टम के लिए किसी भी प्रकार के बिजली या बैटरी की आवश्यकता नहीं होगी। वैज्ञानिकों ने इस सिस्टम को सूर्य रश्मियों का तिलक का नाम दिया है। यह सूर्य तिलक रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे रामलला के माथे पर 4 मिनट के लिए सुशोभित करेगा।

सूर्य तिलक से होगा रामलला का अभिषेक

सूर्य तिलक की खास बात यह है कि यह सिर्फ रामनवमी के दिन ही दिखाई देगा। वैज्ञानिकों ने सूर्य तिलक मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थापित किए हैं जहां ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम में उच्च गुणवत्ता वाले दर्पण और लेंस के साथ साथ वर्टिकल पाइपिंग की व्यवस्था की गई है। राम मंदिर के दूसरे तल पर एक मिरर और एक लेंस स्थापित किया गया है। साथ ही तीसरे मंजिल पर जरूरी के उपकरण लगाए जा रहे हैं। यानी सूर्य देव की रोशनी तीसरे मंजिल पर लगे मिरर पर गिरेगी उसके बाद तीन लेंस व दूसरे तल पर लगे मिरर पर गिरेगी। अंत में सूर्य की रोशनी तिलक के रूप में रामलला की मूर्ति के मस्तक पर लग जाएगा। यह दृश्य करीब 3 से 4 मिनट तक रहेगा।

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