Ramayan Story: कितना शक्तिशाली है प्रभु श्री राम का नाम? हनुमानजी की इस गलती में छिपा है इसका रहस्य!
Ramayan Story: रामायण में एक कथा पढ़ने को मिलती है, जब महर्षि विश्वामित्र के कहने पर श्री राम अपने भक्त हनुमान को मृत्युदंड देने का प्रण कर लेते हैं। लेकिन श्री राम के बाण भी हनुमान जी का कुछ नहीं बिगाड़ पाते, आखिर क्यों? चलिए जानते हैं।
पौराणिक कथा
एक दिन सभी महान संत और ब्राह्मणों ने एक सभा का आयोजन किया। वहां विश्वामित्र, महर्षि वशिष्ठ और नारद जी भी मौजूद थे। सभी ने कहा कि राम नाम, क्या भगवान श्री राम से भी बड़ा है? श्री राम के परम भक्त हनुमानजी जी भी उस सभा में मौजूद थे। हनुमानजी सभी की बातें सुनने के बाद भी चुप थे। सभी संत और मुनि जब इस बात पर चर्चा कर रहे थे तभी नारद जी ने कहा, राम का नाम प्रभु श्री राम से भी बड़ा है। देवर्षि नारद की बातों पर किसी को विश्वास नहीं हुआ। उसके बाद सभी ने नारद जी से इस बात को साबित करने को कहा। नारद जी भी इस बात के लिए सहर्ष तैयार हो गए।
विश्वामित्र का अपमान
जब सभा समाप्त हुई तो नारद जी हनुमान जी के पास गए और बोले जब सभी जाने लगें तो आप महर्षि विश्वामित्र को छोड़कर सभी को प्रणाम करना। नारद जी की बातें सुनकर हनुमान जी ने इसका कारण पूछा, तब नारद जी ने कहा, विश्वामित्र कोई महर्षि नहीं हैं, कुछ साल पहले तक वो एक राजा हुआ करते थे। उसके बाद हनुमानजी ने सभी संतों और महर्षियों को प्रणाम किया। परन्तु जब महर्षि विश्वामित्र उनके सामने आए तो उन्होंने महर्षि विश्वामित्र को अनदेखा कर दिया। हनुमान जी के इस व्यवहार को विश्वामित्र जी ने अपना अपमान समझ लिया। उसके बाद वे क्रोधित हो उठे। उसी समय वह श्री राम के पास गए और बोले हनुमान ने मेरा अपमान किया है। इस अपमान के लिए आपको उसे मृत्युदंड देना होगा।
हनुमान जी की तपस्या
श्री राम ने भी विश्वामित्र को वचन दे दिया कि वे हनुमान जी को अवश्य ही मृत्युदंड देंगे। श्री राम ने कहा गुरु जी मैं आपकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं कर सकता। उधर हनुमान जी को जब इस बात का पता चला तो वे हैरान हो गए। हनुमान जी मन ही मन सोचने लगे कि, मुझ से ऐसा क्या भूल हो गई जो प्रभु श्री राम मुझे मृत्युदंड देना चाहते हैं? हनुमान जी ये सोच ही रहे थे कि महर्षि नारद उनके पास आए और बोले हनुमान तुम राम नाम की जप में लीन हो जाओ। उसके बाद हनुमान जी एक वृक्ष के नीचे राम नाम का जप करने लगे।
श्री राम और हनुमान
कुछ देर बाद भगवान श्री राम जब वहां पहुंचे तो हनुमान को देखकर वो आश्चर्यचकित हो गए। लेकिन अपने गुरु की आज्ञा का ध्यान आते ही वे हनुमान जी पर बाण से प्रहार कर दिया। परन्तु राम नाम में लीन हनुमान जी को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा। प्रभु श्री राम ने जब ये देखा कि हनुमान जी पर उनके बाणों का कोई प्रभाव नहीं पर रहा है तो वो हैरान हो गए। उसके बाद प्रभु श्री राम समझ गए कि हनुमान जी का कोई भी वध नहीं कर सकता। वे वापस चले गए। जाने से पहले श्री राम ने हनुमान जी पर कई अस्त्र से प्रहार किया।
लेकिन राम जी के के प्रहार का हनुमान जी पर को कोई असर नहीं हुआ। फिर राम जी और हनुमान जी के युद्ध को देखकर नारदजी महर्षि विश्वामित्र के पास गए। उन्होंने विश्वामित्र से राम जी को अपने वचन से मुक्त करने का आग्रह किया। विश्वामित्र ने राम जी को अपने वचन से मुक्त कर दिया।
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