Roop Chaudas 2024: नरक चतुर्दशी पर 'अभ्यंग स्नान' के लिए मिलेगा केवल इतना समय, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
Roop Chaudas 2024: दिवाली के पांच दिवसीय त्योहारों की शृंखला में नरक चतुर्दशी धनतेरस के बाद और दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता है। इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं, जिसे रूप चौदस और यम चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल नरक चतुर्दशी की तिथि भी दिवाली की तरह दो दिन है, 30 और 31 अक्टूबर। इस दिन यम की पूजा और व्रत का विधान है। साथ ही नरक चतुर्दशी के मौके पर एक विशेष स्नान की परंपरा है, जिसे 'अभ्यंग स्नान' कहते हैं। अभ्यंग स्नान 31 अक्टूबर की सुबह में किया जाएगा। आइए जानते हैं, अभ्यंग स्नान क्या है, नरक चतुर्दशी के मौके पर इसका महत्व और मुहूर्त क्या है?
अभ्यंग स्नान क्या है?
अभ्यंग का अर्थ होता है मालिश और लेपन। प्रायः यह मालिश और लेपन तेल से नहाने के पहले किया जाता है। प्रचलित रिवाजों के अनुसार, नरक चतुर्दशी की सुबह अभ्यंग स्नान के लिए तिल के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, यह विशेष प्रकार के उबटन और तेल को लगाकर भी किया जाता है। इसके बाद बाद अपामार्ग यानि चिरचिरा या चिरचिरी नामक एक औषधीय पौधे को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाया जाता है।
अभ्यंग स्नान का महत्व
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और देवी सत्यभामा ने मिलकर नरकासुर का वध किया था। इस असुर का वध करने के बाद उन्होंने तेल से स्नान करके शरीर और मन को शुद्ध किया था। तभी से यह प्रथा चली आ रही है। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु भय समाप्त हो जाता है और मृत्यु बाद नर्क की यातनाऐं नहीं भोगनी पड़ती है।
अभ्यंग स्नान 2024 मुहूर्त
मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में या सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने से पुरुषों को तिल या सरसों के तेल की मालिश के बाद स्नान करना चाहिए। वहीं महिलाओं को हल्दी, चंदन, सरसों के तेल से उबटन तैयार कर उसका लेप शरीर में लगाकर स्नान करना चाहिए। इस अभ्यंग स्नान के बाद दीपदान होता है। आइए जानते हैं, इस बार अभ्यंग स्नान का समय क्या है?
रूप चौदस के मौके पर बुधवार 31 अक्टूबर को अभ्यंग स्नान का समय सुबह 5 बजकर 20 मिनट से 6 बजकर 32 मिनट तक है। इस रस्म को निभाने के लिए भक्त और श्रद्धालु के पास कुल 1 घंटा 13 मिनट का समय होगा।
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