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Rukmini Ashtami 2024: 22 या 23 दिसंबर, कब है रुक्मिणी अष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Rukmini Ashtami 2024: हर साल पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रुक्मिणी अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। हालांकि इस बार अष्टमी तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं साल 2024 में 22 दिसंबर या 23 दिसंबर, किस दिन रुक्मिणी अष्टमी का व्रत रखा जाएगा।
12:41 PM Dec 13, 2024 IST | Nidhi Jain
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रुक्मिणी अष्टमी 2024

Rukmini Ashtami 2024: सनातन धर्म के लोगों की भगवान कृष्ण से खास आस्था जुड़ी है। कृष्ण जी को भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना जाता है, जो धैर्य, करुणा और प्रेम के प्रतीक हैं। देवी रुक्मिणी श्री कृष्ण की मुख्य पत्नी थी, जिन्हें धन की देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। रुक्मिणी अष्टमी का दिन देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिस दिन श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की साथ में पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति को धन-वैभव, ऐश्वर्य, सुख-संपत्ति तथा संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।

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वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल पौष मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रुक्मिणी अष्टमी का पर्व मनाया जाता है, जिस दिन द्वापर युग में विदर्भ नरेश भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था। चलिए जानते हैं रुक्मिणी अष्टमी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

2024 में कब है रुक्मिणी अष्टमी?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल पौष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 22 दिसंबर, दिन रविवार को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 23 दिसंबर, दिन सोमवार को शाम 05 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर इस बार रुक्मिणी अष्टमी का व्रत 23 दिसंबर 2024, दिन सोमवार को रखा जाएगा।

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23 दिसंबर 2024 के शुभ मुहूर्त

  • सूर्योदय- प्रात: काल 7:08
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 05:32 से लेकर 06:20 मिनट तक
  • अभिजित मुहूर्त- दोपहर में 12:00 से लेकर 12:41 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त- शाम में 05:27 से लेकर 05:55 मिनट तक

रुक्मिणी अष्टमी की पूजा विधि

  • व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। स्नान आदि कार्य करने के बाद लाल रंग के शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल पर श्री कृष्ण और माता रुक्मिणी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • दक्षिणावर्ती शंख में केसर वाले दूध से देवी-देवता का साथ में अभिषेक करें।
  • देवी रुक्मिणी को लाल वस्त्र, हल्दी, कुमकुम, फल, फूल, इत्र और पंचामृत अर्पित करें। इस दौरान 'कृं कृष्णाय नमः' मंत्र का जाप करें।
  • व्रत का संकल्प लें।
  • गाय के घी का दीपक जलाकर उससे श्री कृष्ण और माता रुक्मिणी की आरती उतारें।
  • व्रत का पारण करने से पहले विवाहित महिलाओं को सुहाग का सामान दें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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