Sawan 2024: शिवरात्रि पर शिवजी को चढ़ाएं तीन पत्तियों वाला बेलपत्र, जानें महत्व और चढ़ाने के नियम
Sawan 2024: सावन पवित्र महीना चल रहा है। शिव भक्त और श्रद्धालु शिव मंदिरों में पूरे भक्ति-भाव और निष्ठा से शिवजी की पूजा कर रहे हैं। यूं तो भगवान शिव एक लोटे से जल से भी प्रसन्न हो जाते है, लेकिन मान्यता है कि शिव पूजा बिना बेलपत्र के अधूरी होती है। बेलपत्र कई पत्तियों वाले होते हैं, लेकिन सबसे अधिक तीन पत्तियों वाले बेलपत्र ही चढ़ाने की परंपरा है। सावन की शिवरात्रि बृहस्पतिवार 2 अगस्त, 2024 को पड़ रही है। आइए, इस पावन मौके पर जानते हैं, बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होने का क्या महत्व है और इसे किस तरह चढ़ाने से सबसे अधिक लाभ होता है?
तीन पत्तियों वाले बेलपत्र का महत्व
- त्रिमूर्ति का प्रतीक: हिंदू धर्म में त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश का सबसे ऊंचा स्थान है। बेलपत्र की तीन पत्तियां इन तीन देवताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। मान्यता है कि बेलपत्र चढ़ाने से इन तीनों देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
- तीन गुणों का प्रतीक: बेलपत्र की तीन पत्तियां सृष्टि के तीन गुणों- सत्व, रज और तम का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये तीन गुण सभी जीवित प्राणियों में पाए जाते हैं।
- शिव के त्रिनेत्र का प्रतीक: तीन पत्तियां भगवान शिव के त्रिनेत्र (तीन आंखें) का भी प्रतीक मानी गयी हैं।
- शिव के त्रिशूल और त्रिपुंड: तीन पत्तियों वाले बेलपत्र को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। इसकी समानता शिव जी के त्रिशूल और त्रिपुंड से भी की जाती है।
हिन्दू धर्म में बेलपत्र का धार्मिक महत्व
शिव पूजन: शिव की पूजा में बेलपत्र का अत्यधिक महत्व है। मान्यता है कि इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
शीतलता, शांति और शक्ति: बेल की पत्तियों में शीतलता, शांति और शक्ति देने वाले गुण होते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, इसे घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
औषधीय गुण: भारत की प्राचीन चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद के अनुसार, बेलपत्र में गजब के औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसे कई बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
बेलपत्र से क्यों प्रसन्न हो जाते हैं भोलेनाथ?
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, बेल वृक्ष के पत्तों में स्वयं देवी पार्वती वास करती हैं. बेल के पत्तों में मां पार्वती का वास होने के कारण बेलपत्र को भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
बेलपत्र चढ़ाने के नियम
- बेलपत्र का सबसे पहला नियम है कि कटे-फटे, टुकड़ों में बंटे बेलपत्र शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है।
- भूल से भी 1 या 2 पत्ती वाले बेल पत्र शिवलिंग पर नहीं चढ़ानी चाहिए. तीन पत्तियां बेलपत्र ही भगवान शिव को चढ़ाएं।
- भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप पर हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ का भाग स्पर्श कराते हुए ही चढ़ाने की परंपरा।
- बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ानी चाहिए और कभी भी सिर्फ बेलपत्र नहीं चढ़ाते हैं, बल्कि बेलपत्र के साथ जल की धारा भी जरुर डालनी चाहिए.
- महीने की चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र तोड़ना शुभ नहीं माना गया है। एक और महत्वपूर्ण बात यह कि पहले से चढ़े हुए बेलपत्र को फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।
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