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Shani Jayanti 2024: इंदौर का अनोखा शनि मंदिर, जहां शनिदेव का रंग है सिंदूरी, भगवान कृष्ण की तरह होता 16 श्रृंगार

Shani Jayanti 2024: मध्य प्रदेश के पुराने इंदौर शहर में भगवान शनिदेव का स्वयंभू शनि मंदिर है, जहां शनिदेव का रंग सिंदूरी है। इस मंदिर के सभी अनुष्ठान कृष्ण मंदिर की तरह होते हैं, जो इसे अनूठा बनाता है। आइए जानते हैं, स्वयंभू रूप में कैसे प्रकट हुए शनिदेव और आम शनि मंदिर के विपरीत क्या हैं यहां की अनोखी परम्पराएं।
12:11 PM May 30, 2024 IST | Shyam Nandan
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Shani Jayanti 2024: मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी इंदौर में भगवान शनिदेव का एक अनोखा शनि मंदिर है, जिसे स्वयंभू माना जाता है। इस मंदिर में भगवान शनिदेव काले न होकर सिंदूरी रंग के हैं। केवल यही नहीं बल्कि उनके पारंपरिक काले और नीले परिधान की जगह यहां शनिदेव को रंग-बिरंगे वस्त्र पहनाए जाते हैं। आइए जानते हैं, इस प्रसिद्ध शनि मंदिर से जुड़ी कुछ खास और रोचक बातें।

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जब शनि कृपा से व्यक्ति को मिली दृष्टि

शनिदेव का यह अनूठा मंदिर पुराने इंदौर शहर, जिसे जूना इंदौर कहते हैं, में स्थित है। बताया जाता है कि आज कोई 700 साल पहले एक दृष्टिहीन धोबी को एक सपना आया था, जिसमें भगवान शनिदेव ने उससे कहा कि जिस पत्थर पर कपड़ा धोते हो, उस पत्थर में मेरा वास है। सपने से जाग कर उस व्यक्ति ने शनिदेव की प्रार्थना की और कहा कि उसे देखने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए वह उस पत्थर में उनकी मूर्ति को पहचानने में असमर्थ है। कहते हैं, अगले ही दिन दृष्टिहीन धोबी को देखने की शक्ति प्राप्त हो गई। तब उसने उस शनि-पाषाण को स्थापित कर पूजा करना शुरू किया, तब से वहां शनि भगवान की पूजा शुरू हो गई। मान्यता है कि इस मंदिर में शनिदेव से प्रार्थना करने के बाद जीवन में शनि ग्रह से संबंधित सभी समस्याएं हल हो जाती हैं।

यहां सिंदूरी हैं शनिदेव

जहां सभी शनि मंदिरों में सब कुछ काला होता है और काले और नीले वस्त्र के अलावा रंगीन परिधान नहीं होते हैं। यहां शनिदेव की रंगीन पोशाकें इस शनि मंदिर को दूसरे मंदिरों से अलग बनाता है। इस शनि मंदिर का विग्रह काले पत्थर से बनी है, लेकिन इस पर सिन्दूर का लेप करने की परंपरा है, जिससे यह पूरी तरह से सिन्दूरी दिखती है। यहां भगवान शनिदेव को 16 श्रृंगार से सजाया गया है। कहते हैं, शनि अमावस्या, शनि जयंती आदि त्योहारों के मौके पर मूर्ति को दर्शन के लिए तैयार करने में लगभग 6 घंटे लग जाते हैं।

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कृष्ण मंदिर की तरह होते हैं अनुष्ठान

इंदौर के इस अनोखे मंदिर के अनुष्ठान उत्तर भारत के कृष्ण मंदिरों की तरह होते हैं। यहां हर सुबह शनिदेव का अभिषेक सरसों और तिल के तेल की जगह शीतल जल और दूध से किया जाता है। फिर जिस प्रकार से भगवान कृष्ण का 16 श्रृंगार होता है, वैसा श्रृंगार भगवान शनिदेव का किया जाता है। उन्हें मुकुट, महंगे आभूषण, रंगीन, चमकीले और सुंदर परिधान पहनाए जाते हैं। इसके बाद उनको भगवान कृष्ण की तरह सभी भांति-भांति के मौसमी फल और सुगंधित फूल चढ़ाएं जाते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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