Shani Trayodashi: 10 या 11 जनवरी, कब है 2025 की पहली शनि त्रयोदशी; साढ़ेसाती-ढैय्या शांति के लिए करें ये अचूक उपाय!
Shani Trayodashi: शनि त्रयोदशी किसी भी महीने की वह खास तिथि है, जब शनिवार और त्रयोदशी तिथि एक साथ एक ही दिन पड़ते हैं। यह एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो शनिदेव को समर्पित है। इस दिन उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत और पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन शनि देव विशेष रूप से भक्तों की प्रार्थना सुनते हैं। आइए जानते हैं, शनि त्रयोदशी का महत्व क्या है, साल 2025 की पहली शनि त्रयोदशी कब है और इस दिन क्या खास उपाय करने से साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष दूर होते हैं?
शनि त्रयोदशी का महत्व
शनि दोष का निवारण: शनि दोष निवारण के लिए शनि त्रयोदशी को एक उत्तम दिन माना गया है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। शनि दोष के कारण जीवन में कई प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं। शनि त्रयोदशी के दिन व्रत और पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिल सकती है।
सुख-समृद्धि: शनि त्रयोदशी के दिन शनिदेव की पूजा से उनकी कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
रोगों से मुक्ति: शनिदेव आयु और स्वास्थ्य के रक्षक हैं। वे गंभीर बीमारियों से हमारी रक्षा करते हैं। इस लिए शनि त्रयोदशी के दिन की गई पूजा से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल सकती है।
कब है 2025 की पहली शनि त्रयोदशी?
साल 2025 की पहली शनि त्रयोदशी तिथि 11 जनवरी 2025 को सुबह 8 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और यह 12 जनवरी 2025 को सुबह 06 बजकर 33 मिनट समाप्त होगी। जहां तक शनि पूजा मुहूर्त की बात है, तो यह शाम में 5 बजकर 43 मिनट से 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।
साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष निवारण के उपाय
- शनि देव की पूजा: शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करना, तिल का तेल का दीपक जलाना, काले तिल का दान करना आदि उपाय बहुत प्रभावी होते हैं। इससे साढ़ेसाती और ढैय्या का असर कम होता है।
- शनि चालीसा और मंत्र का पाठ: शनि चालीसा का नियमित पाठ करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनि मंत्र का जाप करने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है।
- काले कुत्ते को रोटी खिलाएं: शनिवार को काले कुत्ते को रोटी खिलाने से शनि दोष का प्रभाव दूर होता है।
- लोहे की वस्तुओं का दान: लोहे की वस्तुओं का दान करने से शनि दोष का निवारण होता है।
यहां बताएं गए ये सभी उपाय ज्योतिषीय उपाय हैं, जो ज्योतिष और लाल किताब में बताई गई हैं। इसके साथ ही आप सातमुखी रुद्राक्ष भी पहन सकते हैं और धतूरे के जड़ वाली ताबीज भी पहन सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।