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क्या आप जानते हैं श्री राम का अर्थ ? बंगाल की सुमन और प्रणिती ने बताया मतलब

Shri Ram Naam ka Arth: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम को श्री राम कहकर संबोधित करते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि श्री राम का अर्थ क्या होता है अगर नहीं तो आज इस खबर में जानेंगे कि श्री राम का मतलब क्या होता है।
12:04 PM Mar 31, 2024 IST | Raghvendra Tiwari
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Shri Ram Naam ka Arth(अमर देव पासवान ) : आसनसोल, प्राचीन काल में हिंदू समाज के लोग एक दूसरे को स्वागत करने के लिए जय श्रीराम व जय सियाराम कहकर अभिवादन करते थे, पर समय के साथ -साथ इस देश में बहुत कुछ बदल चुका है। लोगों के रहन सहन से लेकर बोल चाल का तौर तरीका सहित उनके सोच और विचारों में भी भारी बदलाव आया है। ऐसे में इन बदलाव के बीच भी धर्म से जुड़ें कुछ हिंदू समाज के लोग अपने पौराणिक प्राचीन कल्चर को कायम रखने की जी तोड़ कोशिश में जुटे हुए हैं, जिनमें से एक हैं पश्चिम बंगाल आसनसोल नियामतपुर की रहने वाली प्रणिती बैनर्जी व उनके मित्र सुमन चौधरी।

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दोनों बचपन से ही भगवान श्री राम व माता सीता के परम भक्त हैं, यहीं कारण है कि दोनों मित्र भगवान श्री राम के प्रति लोगों के दिलों में भक्ति और उनकी ललक जगाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ते हैं। वह जहां भी जाते हैं लोगों को भगवान श्री राम और माता सीता की कथा सुनाते हैं और श्री राम का अर्थ लोगों को समझाते हैं।

प्रणिती और सुमन ने उठाया अनोखा कदम

प्रणिती पेसे से मेकअप आर्टिस्ट हैं तो वहीं सुमन अभिनय के दुनिया से जुड़े हैं। एक परम मित्रों ने श्री राम का अर्थ लोगों को समझाने के लिए एक अनोखा कदम उठाया है। जिस कदम से वह और भी चर्चा का विषय में बने हुए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही उनके इस अभय चरित्र की खूब प्रशंसा भी हो रही है और हो भी क्यों नहीं क्योंकि प्रणिती और सुमन ने काम ही ऐसा किया है। प्रणिती ने अपने मित्र सुमन को दो रूपों में ढाला है, जिसमे पहला रूप राम का है तो दूसरा माता सीता का। यूं कहें तो एक शरीर में दो अभय चरित्र जो साधारण ही नहीं बल्कि असाधारण है।

प्रणिती और सुमन इस चरित्र से लोगों को यह समझाना चाहते हैं कि लोगों द्वारा एक दूसरे को सम्मान देने के लिए की जाने वाली वंदना, जय सियाराम या फिर जय श्रीराम का असल मतलब क्या है। प्रणिती बताती हैं की राम सीता से अलग नहीं हैं वह एक ही हैं, यहीं कारण है कि जब भी भगवान राम के नाम का उच्चारण किया जाता है, तब राम के पहले श्री या फिर सिया लगाया जाता है। जैसा की प्राचीन काल के लोगों द्वारा एक दूसरे को सम्मान देने व एक दूसरे का स्वागत करने पर जय श्रीराम या फिर जय सियाराम का अभिवादन किया जाता था।

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"श्री" शब्द का क्या होता है अर्थ

मान्यताओं के अनुसार, "श्री" शब्द का अर्थ लक्ष्मी होता है तो वहीं सिया का अर्थ सीता होता है, "श्री" शब्द को सम्मान सूचक शब्द के रूप में देखा जाता है। यहीं कारण है कि घर और परिवार के बड़े या समाज में सम्मानित लोगों को सम्मान देने के लिए श्री लगाते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि केवल भगवान विष्णु के नाम के आगे ही 'श्री' लगाने का विधान शास्त्रों में बताया गया है।

ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीहरि के आगे लगने वाले 'श्री' का अर्थ 'माता लक्ष्मी' है। माता लक्ष्मी के अनेक नामों में से 'श्री' भी उनका एक नाम है। साथ ही इस शब्द के एक अर्थ 'ऐश्वर्य प्रदान करने वाली' भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं, इसलिए भगवान विष्णु को श्रीहरि कहकर इन्हें सम्मान दिया जाता है। ऐसे में आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा की भगवान विष्णु के नाम के आगे श्री शब्द का इस्तेमाल आखिरकार किस लिए और क्यों किया जाता है।

"श्री" शब्द का प्रयोग

बता दें कि माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है की प्रभु राम और भगवान कृष्ण के नाम के पहले 'श्री' शब्द का प्रयोग किस कारण होता है। ऐसे में धार्मिक ग्रंथों में से यह पता चलता है कि भगवान राम और कृष्ण को विष्णु जी का ही अवतार बताया गया है। इसलिए उन्हें सम्बोधित करने से पहले श्री का प्रयोग किया जाता है। श्री राम की पत्नी माता सीता और श्री कृष्ण की पत्नी माता रुक्मिणी को भी मां लक्ष्मी जी का ही अवतार बताया गया है। इसलिए उनको वंदन करने से पहले 'श्री राम' और 'श्री कृष्ण' का प्रयोग किया जाता है।

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