Skanda Sashti 2024: 9 या 10 सितंबर, कब रखा जाएगा स्कंद षष्ठी का व्रत? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Skanda Sashti 2024: भगवान कार्तिकेय को समर्पित स्कंद षष्ठी का व्रत हर माह रखा जाता है। हालांकि इस बार स्कंद षष्ठी व्रत की तिथि को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। चलिए जानते हैं इस बार स्कंद षष्ठी का व्रत 9 या 10 सितंबर 2024, किस दिन रखा जाएगा।

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स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि

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Skanda Sashti 2024: धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रत्येक मास में आने वाली हर एक तिथि किसी न किसी भगवान को समर्पित है। हर माह की षष्ठी तिथि भगवान शिव और देवी पार्वती के छठे पुत्र कार्तिकेय जी को समर्पित है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की आराधना करने से साधक के जीवन में प्यार, खुशहाली और सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं जिन लोगों को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही होती है, यदि वो इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ पूजा-पाठ करते हैं, तो उनके घर में जल्द ही किलकारी गूंज सकती है। लेकिन व्रत की पूजा पूरी विधि के साथ करनी जरूरी होती है, नहीं तो व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता है।

चलिए जानते हैं साल 2024 सितंबर माह में स्कंद षष्ठी का व्रत कब रखा जाएगा। इसी के साथ आपको स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में भी पता चलेगा।

सितंबर में स्कंद षष्ठी व्रत कब?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार भाद्रपद माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ 08 सितंबर को देर रात 07:58 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 09 सितंबर को रात 09:53 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर स्कंद षष्ठी का व्रत इस बार 09 सितंबर 2024 को रखा जाएगा।

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स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा का मुहूर्त

09 सितंबर 2024 को स्कंद षष्ठी व्रत के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक है। वहीं संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त शाम में 06 बजकर 21 मिनट से लेकर 07 बजकर 07 मिनट तक है।

स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि

  • व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध कपड़े धारण करें।
  • घर के मंदिर में भगवान कार्तिकेय की मूर्ति स्थापित करें।
  • भगवान की मूर्ति के सामने घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  • स्कंद षष्ठी व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान को फल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
  • इस दौरान स्कंद षष्ठी व्रत की कथा पढ़ें।
  • अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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