कुंडली के सूर्य दोष से रुकी है जीवन की तरक्की, तो आषाढ़ में इन उपायों से बन जाएंगे बिगड़े काम
Surya Dosh Upay: वैदिक ज्योतिष के 9 ग्रहों के शुभ-अशुभ प्रभावों से जीवन पर गहरा असर पड़ता है। कुंडली में सभी ग्रह व्यक्ति के अनुकूल हों, ऐसा योग दुर्लभ है। जहां तक सूर्य ग्रह की बात है, तो इसका कुंडली में शुभ स्थिति होना जरूरी है या इन्हें कम से कम अशुभ होना चाहिए। बता दें, आषाढ़ माह शुरू हो चुका है, जो सूर्य आराधना के लिए बहुत खास माना गया है। कहते हैं, भगवान राम ने भी इस माह में सूर्य पूजा की थी, जिससे वे लंका जीतने में सफल हुए थे। आइए जानते हैं, सूर्य का ज्योतिष महत्व क्या है, ये कुंडली में कब अशुभ माने गए हैं और ज्योतिष शास्त्र में बताए गए किन उपायों से सूर्य दोष को समाप्त कर सकते हैं?
सूर्य ग्रह का ज्योतिष महत्व
वैदिक ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है। सूर्य के पास सभी अधिकार हैं। कुंडली में मजबूत सूर्य व्यक्ति को आत्मविश्वासी, तेजस्वी और प्रभुत्वशाली बनाता है। ऐसे व्यक्ति प्रतिष्ठित पदों पर होते हैं और समाज का नेतृत्व करते हैं। सूर्य आत्मा, हृदय, आत्म-बल, प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, दाहिना नेत्र, पिता, राजा, सत्ता, राजकीय कार्य, राजसी जीवन, राजनीति, सम्मान, मेडिकल साइंस, मस्तिष्क, गेहूं, सिर का रोग, इगो (अहम), अचानक गुस्सा आना आदि के कारक ग्रह हैं। जीवन के इन सभी सेक्टर पर सूर्य का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
सूर्य कब होते हैं अशुभ?
जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य अशुभ अवस्था में होते हैं, तो वे कमजोर हो जाते है। इस स्थति में न केवल सूर्य बल्कि अन्य ग्रह भी अपना सर्वोत्तम फल नहीं दे पाते हैं। इसे ही सूर्य बाधा कहा गया है। सूर्य जब अपनी नीच की राशि यानी तुला राशि में होते हैं, तो सबसे कमजोर माने गए हैं। कुंडली के 6, 8 या 12वें में होने से सूर्य अशुभ माने गए हैं। जब सूर्य ग्रह शुक्र, शनि और राहु की राशियों यानी वृषभ, तुला, मकर और कुंभ राशि में होते हैं, तो काफी असहज होते हैं यानी बली नहीं होते हैं। वहीं सूर्य पर अशुभ ग्रहों शनि, राहु और केतु की दृष्टि होने से भी सूर्य अशुभ माने गए हैं।
सूर्य दोष दूर करने के उपाय
आदित्यहृदय स्तोत्र के पाठ से सूर्यदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
सूर्य ग्रह की दशा और अन्तर्दशा में उनके शुभ असर से जहां बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं, वहीं अशुभ प्रभाव से बनता हुआ काम भी बिगड़ जाता है। मान्यता है कि आषाढ़ माह में सूर्य पूजा काफी फलदायी होती है। यहां सूर्य ग्रह की शांति के शास्त्र-सम्मत चमत्कारिक उपाय बताए गए हैं, जिसे अपनाकर आप अपनी कुंडली के खराब सूर्य को अनुकूल बनाकर अपना जीवन संवार सकते हैं।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गेहूं और गुड़ में सूर्य का वास माना गया है। इन दोनों वस्तओं के दान से सूर्य दोष समाप्त होता है। सूर्य बाधा की समाप्ति से जीवन सुखमय रहता है।
- जिन व्यक्तियों के कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में होते हैं, वे अनेक स्वास्थ्य समस्याओं से घिरे रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों को नमक का कम से कम प्रयोग करने लाभ होता है।
- सुबह में उगते हुए सूर्य को चन्दन और कनेर के फूल से नियमित जल का अर्घ्य देने से तन और मन स्वस्थ रहता है। रुके हुए काम में प्रगति होती है और बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं।
- ग्रंथों में आदित्यहृदय स्तोत्र को सूर्यदेव की आराधना सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है। इसका नियमित पाठ करने से सूर्य मजबूत होते हैं और भाग्योदय में सहायक होते हैं।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।